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सोमवार, 12 मई 2014

व्यंग्य : एक इंटरव्यू दे दीजिए प्लीज़....

हरिगोविंद विश्वकर्मा
हे नेताजी आप महान हैं. आप देशवासियों के भाग्यविधाता हैं. भारत के इतिहास में आप जैसा करिश्माई नेता न तो कभी हुआ था, न तो अब है और न ही कभी भविष्य में होगा. आप श्रेष्ठों में श्रेष्ठ हैं. बस आप हमें अपना एक इंटरव्यू दे दीजिए, प्लीज़! चाहे जैसे भी हो, एक बार मेरे साथ बैठ जाइए. मुझसे बातचीत कर लीजिए, आप जो कहेंगे, मैं वहीं पूछूंगा. या अगर मैं ग़लती से कोई अप्रिय सवाल पूछ बैठूं तो आप मुझे बिना संकोच के डांट दीजिएगा, इससे मेरा कतई अपमान नहीं होगा. मुझे सुविधानुसार ही इंटरव्यू दीजिएगा. मुझे कोई परेशानी नहीं होगी. मुझे तो बस आपके एक अदद इंटरव्यू से मतलब. मुझे सवाल से नहीं, इंटरव्यू से मतलब है सरकारजी. इस समय आपका एक इंटरव्यू लेना ही मेरी जीवन का मकसद है. इसलिए एक इंटरव्यू दे दीजिए प्लीज़.

हे नेताजी, आपने ऐरे, गैरे, नत्थू खैरे को इंटरव्यू दे दिया. आपके दर से कोई खाली नहीं गया. जो भी आपके यहां आया, उससे आपने बातचीत कर ली. केवल मैं ही अभागा वंचित रह गया, आपका इंटरव्यू लेने से. अब मेरी प्रतिष्ठा दांव पर है. लोग ताने पर ताने दे रहे हैं. कहते हैं, आप नेताजी का इंटरव्यू नहीं कर सके. आपकी पत्रकारिता में अब वह धार नहीं रही. इसीलिए नेताजी ने आपको इंटरव्यू नहीं दिया. आपका असर होता तो आपको भी इंटरव्यू ज़रूर मिलता. बतौर पत्रकार, अब, मेरी क्रेडिबिलिटी, मेरी साख, आपके एक इंटरव्यू की मोहताज़ हो गई है. इसलिए कह रहा हूं, अब मेरी इज़्ज़त आपके हाथ में है. इसे तो बचा लीजिए. बस एक इंटरव्यू दे दीजिए, प्लीज़.

आप जैसा कहेंगे, वैसा ही इंटरव्यू लूंगा. आपका इंटरव्यू लेने के अपना फ़ॉर्मेट को ही बदल दूंगा. आपके साथ अच्छे कपड़े पहनकर बैठूंगा. नहीं-नहीं, आपकी पंसद के कपड़े पहन लूंगा. हां, आप जो भी कहेंगे, वहीं कपड़े पहनूंगा. आप कहेंगे तो कपड़े उतारकर केवल चड्ढी-बनियान में इंटरव्यू लूंगा. आप इससे भी खुश नहीं होंगे तो दंडवत करते हुए आपसे सवाल पूछूंगा. इससे भी संतुष्ट न हुए तो एक पांव पर खड़े होकर इंटरव्यू लूंगा. या फिर आप चाहेंगे तो नाक रगड़कर सवाल पूछूंगा. आप आराम से कुर्सी पर या सोफे पर बिराजना, मैं नीचे फ़र्श या ज़मीन पर बैठूंगा. इससे मेरी अवमानना नहीं होगी क्योंकि आपके इंटरव्यू के लिए मैंने अपना सेल्फ़-रिस्पेक्ट ताक पर रख दिया है. मैंने अपने को इतना बदला, सो कृपा करिए. बस एक इंटरव्यू दे दीजिए, प्लीज़.
                                                   

इंटरव्यू में मुझे आपकी तारीफ़ करने का मौक़ा मिलेगा. जो मैं अब तक नहीं कर सका. मैं नादान आपका आलोचक जो था. केवल और केवल आपकी आलोचना करता रहा. जो मन में आया वहीं आपको कहता रहा. सरकारजी, सच पूछो तो मैंने घनघोर पाप किया है. अब मैं अपने पाप का प्रायश्चित करना चाहता हूं. आपका एक इंटरव्यू लेना चाहता हूं. ताकि मैं बता सकूं पूरी दुनिया को, कि मैं ग़लत था. आप सही थे. आपकी खासियत के बारे में, आपके जादू के बारे में बताऊंगा, सारी दुनिया को. जिसके चलते आजकल हर कोई आपका लट्टू है. आप पर फ़िदा है. आपकी जय-जयकार कर रहा है. हमें भी जय-जयकार करने का मौक़ा दीजिए. एक इंटरव्यू दे दीजिए, प्लीज़.

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