हरिगोविंद विश्वकर्मा
ज़िंदगी भर दूसरों को शांति
का पाठ पढ़ाने वाले हाईप्रोफाइल आध्यात्मिक संत भय्यूजी महाराज उर्फ उदय सिंह देशमुख अपने परिवार में शांति स्थापित करने में असफल रहे और बताया जा रहा है कि पारिवारिक कलह के चलते
आज अपने ही हाथों 50 साल की उम्र में ही अपनी इहलीला समाप्त कर ली। उनके कमरे से सुसाइड नोट मिला है जिसमें उन्होंने 'मैं जीवन के तनावों से ऊब चुका हूँ और ये तनाव अब सहन नहीं कर पाऊंगा" की बात लिखी है। साथ ही उन्होंने कहा है कि मेरी आत्महत्या के लिए किसी को भी जिम्मेदार न ठहराया जाए। वह गाहे बगाहे
किसी न किसी विवाद में फंस जाते थे और उनका अंत भी विवादास्पद ही रहा। भय्यूजी पहली बार राष्ट्रीय स्तर पर तब चर्चा
में आए थे जब उन्होंने दिल्ली में अनशन में बैठे समाजसेवी अण्णा हजारे के लोकपाल
के लिए चल रहे आंदोलन में मध्यस्थता करके अण्णा का अनशन तोड़वाया। बहरहाल,
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, कई मुख्यमंत्रियों समेत बड़ी संख्या में सियासतदां उनसे
नियमित सलाह लेते थे।
भय्यूजी के अनुयायियों की
मान्यता यह है कि उन्हें भगवान दत्तात्रेय का आशीर्वाद हासिल है। महाराष्ट्र में
उन्हें राष्ट्रसंत का दर्जा मिला था। बताते हैं कि सूर्य की उपासना करने वाले
भय्यूजी को घंटों जल समाधि करने का अनुभव था। राजनीतिक क्षेत्र में उनका खासा
प्रभाव रहा। उनके ससुर महाराष्ट्र कांग्रेस के अध्यक्ष भी रहे हैं। पूर्व मुख्यमंत्री
विलासराव देशमुख से उनके करीबी रिश्ते रहे। नितिन गडकरी से लेकर राष्ट्रीय
स्वयंसेवक संघ प्रमुख मोहन भागवत भी उनके भक्तों की सूची में शामिल थे। महाराष्ट्र
की राजनीति में उन्हें संकटमोचक के तौर पर देखा जाता था। प्रधानमंत्री नरेंद्र
मोदी गुजरात के मुख्यमंत्री के
रूप में अपने सद्भावना उपवास को खुलवाने के लिए जिन शीर्ष संतों, महात्माओं और धर्मगुरुओं को आमंत्रित किया था,
उसमें भय्यू महाराज भी शामिल थे। उनके भक्तों की फेरिस्त में
लता मंगेशकर, पूर्व राष्ट्रपति प्रतिभा पाटिल, आनंदी बेन पटेल, उद्धव ठाकरे, राज ठाकरे, आशा भोंसले, अनुराधा पौडवाल, मिलिंद गुणाजी समेत देश-दुनिया की नामी हस्तियां रही है।
वह जमीन से जुड़े संत थे और
अक्सर ट्रैक सूट में भी नजर आ जाते थे। एक किसान की तरह वह कभी अपने खेतों को
जोतते-बोते दिखते थे, तो कभी क्रिकेट के शौकीन
नजर आते थे। घुड़सवारी और तलवारबाजी में महारथ के अलावा कविताओं में भी उनकी
दिलचस्पी थी। जवानी में उन्होंने सियाराम शूटिंग-शर्टिंग के लिए पोस्टर मॉडलिंग भी
की थी। हाल ही में मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने कई संतों को
राज्यमंत्री का दर्जा दिया था, उनमें भय्यूजी भी शामिल थे।
हालांकि उन्होंने इसे
ठुकरा दिया था। मालवा से निकलकर देश-विदेश
में अपनी आध्यात्मिक छवि के लिए पहचाने जाने वाले भय्यूजी ने मॉडलिंग के दुनिया से
अपना करियर शुरू किया था और उसके बाद उन्होने शोहरत भरी मॉडलिंग की जिंदगी को
अलविदा कहकर आध्यात्म के सफर पर चल पड़े।
भय्यूजी महाराज सामाजिक
सरोकारों से जुड़े रहे। उन्होंने श्री
सद्गुरु दत्त धार्मिक एवं पारमार्थिक ट्रस्ट का गठन किया. यह ट्रस्ट मध्य प्रदेश
और महाराष्ट्र में सक्रिय है। वह पद, पुरस्कार, शिष्य और मठ परंपरा के
विरोधी रहे। व्यक्तिपूजा को तो वह अपराध की श्रेणी में रखते थे। हालांकि बाद में वह
खुद उन्हीं बुरी परंपरा के शिकार हो गए। मध्य
प्रदेश और महाराष्ट्र में उन्होंने शिक्षा, स्वास्थ्य, पर्यावरण और समाज सेवा के
बडे़ काम किए। सोलापुर के पंडारपुर की वेश्याओं के 51 बच्चों को उन्होंने पिता के रूप में अपना नाम दिया। यही नहीं बुलढाणा के
खामगांव में उन्होंने आदिवासियों के बीच 700 बच्चों का आवासीय स्कूल बनवाया। उनका ट्रस्ट द्वारा किसानों के लिए धरतीपुत्र सेवा अभियान व भूमि सुधार,
जल मिटटी व बीज परीक्षण प्रयोगशाला, बीज वितरण योजना भी चलाता है। ट्रस्ट अब तक 7,709 कन्याओं का विवाह करा चुका है।
भय्यूजी ग्लोबल वॉर्मिंग से
भी खासे चिंतित थे। संभवतः इसीलिए गुरु दक्षिणा के नाम पर वह अपने शिष्यों से कम
से कम एक पेड़ जरूर लगवाते थे। अब तक 18 लाख से ज्यादा पेड़ लगवा
चुके हैं। मध्य प्रदेश के आदिवासी जिलों देवास और धार में करीब एक हजार तालाब
खुदवा चुके हैं। वह शिष्यों से कभी नारियल, शॉल या फूलमाला भी नहीं स्वीकार
करते थे। वह अपने शिष्यों से अपील करते थे कि फूलमाला और नारियल पर पैसा बर्बाद
करने की बजाय उसे शिक्षा में लगाएं। ऐसे ही पैसे से उनका ट्रस्ट करीब 10 हजार बच्चों को स्कॉलरशिप देता है।
भय्यूजी महाराज गृहस्थ जीवन
में रहते हुए संत-सी जिंदगी जीते थे। 29 अप्रैल 1968 में मध्यप्रदेश के शाजापुर जिले के शुजालपुर में जन्मे भय्यूजी
की पहली शादी औरंगाबाद की
माधवी निमबालकर से हुई थी। उससे उनकी एक बेटी कुहू पुणे में पढ़ती है। माधवी के
निधन के बाद उन्होंने 30 अप्रैल 2017 को एमपी के शिवपुरी की बेहद खूबसूरत डॉ. आयुषी के साथ
दूसरी शादी कर ली। हालांकि दूसरी
शादी के दौरान ही एक महिला ने उन पर खुद से संबंधों का आरोप लगाया। इसी महिला ने
वर्ष 2005 में उनके खिलाफ मुकदमा दायर करते हुए उन्हें अपने पुत्र चैत्नय का पिता
बताया। ये महिला उनकी श्रद्धालु थी और उसका नाम सीमा वानखडे था। एक दूसरी महिला मल्लिका
राजपूत नाम की अभिनेत्री ने आरोप लगाया था कि भय्यूजी ने उसे प्रेम के मोहजाल में
फंसाकर रखा और दूसरे नंबरों से छुप छुपकर उसे फोन लगाते हैं। मल्लिका ने भय्यूजी
के साथ अपनी कई फोटो भी जारी की थी।
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