हरिगोविंद विश्वकर्मा
सचिन तेंदुलकर, लता मंगेशकर और अमिताभ बच्चन हर काम केवल और केवल अपने या
अपने परिवार या अपनी कंपनी के फ़ायदे के लिए करते हैं. ये महान व्यक्तित्व इतनी
ऊंचाई तक पहुंचने के बावजूद कभी निहित स्वार्थ से ऊपर नहीं ऊठ पाए. जिसके चलते आदत
इनके महान क़द को छोटा कर देता है.
शुक्रवार को सचिन ने दिल्ली
में एक प्रोग्राम में ग़लत बयानी कर दी. उन्होंने कहा कि वह अपने बड़े भाई अजीत
तेंदुलकर की बीमारी (बाईपास सर्जरी) के चलते संसद में नियमित नहीं जा सके. यह एकदम
सफ़ेद झूठ है. अजीत के बाइपास सर्जरी पिछले हफ़्ते मुंबई के जसलोक अस्पताल में डॉ.
सुधांशु भट्टाचार्य ने की अगवाई में डॉक्टर्स की एक टीम ने की जबकि सचिन संसद
मनोनीत किए जाने के बाद से ही राज्य सभा से ग़ायब हैं.
कांग्रेस द्वारा राज्यसभा
सदस्य बनाने जाने के बाद भी वह लगातार विज्ञापन की शूटिंग के लिए ख़ूब समय निकालते
रहे हैं, क्योंकि उससे उनको मोटी रकम मिलती है. इसीलिए,
क्रिकेट को अलविदा कहने के बावजूद महेंद्र सिंह धोनी और
विराट कोहली के साल भर बाद भी बाद सचिन विज्ञापन से सबसे ज़्यादा कमाई करने वाले
खिलाड़ी हैं. सचिन आज भी बहुराष्ट्रीय कंपनी अविवा, कोकाकोला,
अदिदास, तोशीबा, फ़्यूचर ग्रुप,
एसएआर ग्रुप, स्विस घड़ी कंपनी ऑडिमार्स से जुड़े हुए हैं. कई छोटी-मोटी कंपनियों के प्रॉडक्ट भी बेचते रहते हैं. तभी
तो 2013 में फ़ोर्ब्स ने उनकी कमाई 22 मिलियन डॉलर बताई थी. दरअसल, राज्यसभा में सचिन जाएं या न जाएं, उनको उतना ही पैसा (वेतन-भत्ता) मिलेगा. लिहाज़ा संसद में बैठकर वक़्त जाया करने की बजाय वह अपना
कीमती वक़्त कॉमर्शियल शूटिंग्स को देते हैं.
एक क्रिकेटर के रूप में सचिन
तेंदुलकर ने कभी कोई ऐसी पारी नहीं खेली जिसे भारत को जीत मिली हो. इसीलिए,
“विज़डन की 100 बेस्ट इनिंग्स” में सचिन की कोई पारी नहीं है. जबकि सुनील गावस्कर, वीवीएस लक्ष्मण, राहुल द्रविड़, सौरव गांगुली, गुलडप्पा विश्वनाथ,
कपिलदेव और वीरेंद्र सेहवाग जैसे अनेक भारतीय बल्लेबाज़ रहे
हैं जिनकी कोई न कोई पारी विज़डन का 100 बेस्ट पारियों में रही है.
सचिन की टेस्ट मैच, एक
दिवसीय मैच और टी-20 मैचों में बल्लेबाज़ी का बारीक़ी से अध्ययन करें तो जब भी
भारत संकट में रहा, वह सस्ते में पैवेलियन लौट गए. टेस्ट मैच में एक बार पाकिस्तान
के ख़िलाफ़ भारत मैच जीतने की पोज़िशन में था लेकिन शतक बनाने के थोड़ी देर बाद ही
सचिन आउट हो गए और भारत मैच हार गया. सचिन ने 200 टेस्ट की 329 पारियों में 53 के औसत से 15921 रन बनाए लेकिन उनके ज़्यादातर शतक ड्रा हुए मैचेज़ में रहे. वह गेंदबाज़ों की तूफानी
या शॉर्टपिच गेंद कभी विश्वास से नहीं खेल पाए इसीलिए डेल स्टेन, डोनाल्ड,
मैकग्रा, लिली, वकार, विशप मलिंगा या ली की गेंदों के सामने उनके खाते में बहुत ज़्यादा
रन नहीं हैं. उनका खेल बांग्लादेश या
जिंब्ब्वे की फिसड्डी टीमों के ख़िलाफ़ सबसे उम्दा रहा है. उनका करीयर बेस्ट अविजित 248 भी बांग्लादेश
के ख़िलाफ़ ही है. दरअसल, यूएनआई में नौकरी के दौरान इन
पंक्तियों के लेखक ने काफ़ी रिसर्च के बाद सचिन पर इसी तरह की एक बढ़िया रिपोर्ट
फ़ाइल की थी लेकिन उसे सचिन विरोधी क़रार देते हुए एजेंसी ने रिलीज़ नहीं की
क्योंकि उस समय सचिन के बारे में निगेटिव लिखना तो दूर कोई सोचता भी नहीं था.
सचिन ने राज्यसभा की
मर्यादा को ही नहीं घटाया बल्कि, भारतरत्न पुरस्कार की प्रतिष्ठा
में भी बट्टा लगा दिया है. भारत रत्न
पुरस्कार पा चुका खिलाड़ी टीवी पर लोगों से एक ख़ास किस्म के प्रोडक्ट ख़रीदने की
अपील करता है. जबकि दुनिया जानती है सारे किरदार टीवी विज्ञापन में झूठ बोलते हैं.
सचिन एक आम अभिनेता या खिलाड़ी के रूप में यह झूठ बोलते तो कोई हर्ज़ नहीं था,
लेकिन यह झूठ सचिन भारत रत्न के रूप में बोलते हैं. इसका
निश्चित तौर पर ग़लत संदेश जाता है.
एक बात और, अगर पर्याप्त
अटेंडेंस न होने पर किसी छात्र को परीक्षा में बैठने से रोका जा सकता है तो संसद
की कार्यवाही से बिना कारण ग़ायब रहने वाले हर सदस्य की सदस्यता रद की जानी चाहिए
ताकि ऐसे लोगों को मौक़ा मिले जिनके पास संसद (लोकसभा-राज्यसभा) विधानसभा या अन्य
जनपंचायत के लिए पर्याप्त समय हो.
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