हरिगोविंद विश्वकर्मा
जम्मू कश्मीर के पुलवामा जिले में पहली अगस्त 2017 की सुबह राज्य पुलिस, अर्धसैनिक बलों और सेना के संयुक्त कॉम्बैट ऑपरेशन में मारे गए लश्कर-ए-तैयबा का कश्मीर कमांडर अबु दुजाना के बारे में पता चल रहा है कि वह महा ऐय्याश था। यह कोई नई बात नहीं है। जम्मू कश्मीर में युवक ऐय्याशी के लिए ही बंदूक उठाते हैं। उनका मिशन आज़ादी नहीं बल्कि बंदूक के बल पर ऐय्याशी करना होता है। वस्तुतः 1989 से शुरू हुए आतंकवाद का शिकार सबसे ज़्यादा पहाड़ों पर रहने वाले ग़रीब परिवारों की कमज़ोर लड़कियां और महिलाएं हुई हैं। आतंकवादी बंदूक से डराकर कई लड़कियों से शादी कर लेते हैं या प्रेमिका या रखैल बनाकर रखते हैं। आतंकी लड़कियों का भयानक यौन शोषण करते हैं और बाद में उन्हें छोड़ देते हैं। दहशतगर्दों द्वारा छोड़ी गई लड़कियों से डर के मारे कोई शादी नहीं करता, जिससे उन लड़कियों का जीवन ही नष्ट हो जाता है।
महा ऐय्याश लश्कर कमांडर दुजाना के लिए घाटी में अलगाववादी नेता पाकिस्तान पैसे लेकर भले विरोध प्रदर्शन करवा रहे हों, लेकिन 15 लाख रुपए इनाम के इस आतंकी के मारे जाने से दक्षिण कश्मीर के पुलवामा की पहाड़ी इलाक़ों में रहने वाले लोग, ख़ासकर लड़कियां और महिलाएं राहत की सांस ले रही हैं। बताया जाता है कि जिले के हाकड़ीपुरा, गूरू, नारबल और छातापुरा जैसे गांव की क़रीब सौ लड़कियों और महिलाओं को दुजाना अपनी हवस की शिकार बना चुका था। दरअसल, कश्मीर में पहाड़ों पर घर दूर दूर होते हैं। ऐसे में हर घर को सुरक्षा मुहैया कराना मुमकिन ही नहीं होता। इसी का फ़ायदा आतंकवादी उठाते हैं और जहां रहते हैं, रात में वहीं किसी के घर में घुस जाते हैं। आतंकी ऐसे घर चुनते हैं, जहां जवान लड़कियां होती हैं। रात रुकने पर घरवालों से खाना तो बनवाते ही हैं, घर की लड़की के साथ सोते भी हैं। घर दूर-दूर होने के कारण असुरक्षित लोगों के सामने अपनी बहू-बेटी परोसने के अलावा और कोई विकल्प नहीं होता है। बंदूक के बल पर आतंकी किसी भी लड़की या स्त्री के साथ शारीरिक संबंध बना लेते हैं। लोग बताते हैं कि जिसके जिस घर में आतंकी ठहरते हैं, उसके पास वाले घरों की लड़कियां दूर भेज दी जाती हैं, ताकि इन शैतानों की हवस से इन मासूमों को बचाया जा सके।
हमेशा आधुनिक हथियारों से लैस रहने वाला लश्कर आतंवादी दुजाना का ख़ौफ़ पिछले कई साल से पहाड़ी इलाक़े के ग़रीब परिवार की लड़कियों में सबसे ज़्यादा था। दुजाना जब चाहता था और जहां चाहता था वहीं किसी के भी घर में रात में ठहर जाता था। उसे भले 'ए प्लस प्लस' कैटेगरी के आतंकवादियों की सूची में रखा गया था लेकिन वह आतंकवादी से बढ़कर एक ऐय्याश युवक था और नई-नई लड़कियों के साथ सोने के लिए ही पाकिस्तान के गिलगित-बाल्टिस्तान से घाटी में आया था। पूरे इलाक़े में क़रीब 10-15 गांवों में लश्कर कमांडर दुजाना का कई लड़कियों से खुला शारीरिक संबंध था, सोमवार की रात जिस लड़की के पास वह सोने के लिए आया था, वह उसकी पत्नी नहीं बल्कि रखैल थी। दुजाना अपनी रखैल और दूसरे आतंकवादी परिवार की दूसरी लड़कियों के साथ सोए थे। बताया जाता है कि तंग आकर दुजाना की रखैल के परिवार वालों ने ही सुरक्षा एजेंसियों को उसके आने की टिप दे दी और सुरक्षा बलों ने उसका काम-तमाम कर दिया। दुजाना इस घर में अकसर आता रहता था। उसका विरोध करने का मतलब मौत को दावत देने के समान था, इसलिए घर के लोग ख़ून का घूंट पीकर उसे अपने घर की लड़की के साथ सोते हुए देखा करते थे। सहनशक्ति जब जवाब दे गई तो परिवार के एक सदस्य ने पास में तैनात 55 आरआर (राष्ट्रीय राइफल्स) के एक अफ़सर को यह बात बताई।
इस सूचना के बाद 55 आरआर सतर्क हो गई। सोमवार की रात जैसे ही दुजाना अपनी गर्लफ्रेंड के पास पहुंचा, उसकी प्रेमिका के घर के उस सदस्य ने 55 आरआर के उस ऑफीसर को इत्तिला दे दी। आनन-फानन में जम्मू कश्मीर पुलिस की स्पेशल टीम गांव के चारो ओर मोर्चा संभाल लिया। उसकी मदद के लिए 55 आरआर के अलावा सेना की 182 बटालियन, 183 बटालियन और सीआरपीएफ के जवान भी पहुंच गए। चूंकि दुजाना पहले पांच बार सुरक्षा बलों को चकमा दे चुका था, इसलिए पुलिस उसे इस बार कोई मौक़ा नहीं देना चाहती थी। अल-सुबह 4.30 बजे ऑपरेशन शुरू हुआ। दुजाना और दूसरे आतंकवादी अंदर से ही फायर करने लगे। इसके बाद सुरक्षा बलों ने परिजनों को बाहर निकाला और घर में आग लगा दी। घाटी में जिस घर में आतंकवादी छिपे होते हैं, वहां उन्हें बाहर निकालने के लिए सेना घर में आग लगा देती है। आगजनी के बाद दुजाना और दूसरे आतंकवादी जैसे ही जलने से बचने के लिए बाहर निकले उन्हें मार गिराया गया। यह ऑपरेशन पांच घंटे से ज़्यादा चला।
वैसे दुजाना पहला आतंकवादी नहीं है, जिसकी जान इश्कबाज़ी के चक्कर में गई हो। इससे पहले भी ऐसे अनेक आतंकवादी कश्मीरी लड़कियों के साथ अफेयर की वजह से अपनी जान गंवा चुके हैं। दरअसल, घाटी में आतंकवाद कभी भी किसी तरह का मिशन नहीं रहा, यह आतंकवाद शुरू से ही पूरी तरह सेक्स-ओरिएंटेड रहा है। बंदूक रखना घाटी में स्टैटस सिंबल हो गया है। बंदूकधारी युवकों का पूरे इलाक़े में दबदबा होता है, वे जिसके घर में चाहे घुस जाते हैं और कबाब के साथ शबाब की मौज़ उड़ाते हैं। दरअसल, कश्मीर में आने वाले अधिकतर आतंकवादी पाकिस्तान के पंजाब प्रांत के कमज़ोर तबके के परिवारों से होते हैं। आतंकवाद में उतरते ही उन्हें खूब पैसे और हथियार मिलते हैं। लिहाज़ा, अपनी गन का इस्तेमाल कर आतंकी पहाड़ी लड़कियों को इंप्रेस करते हैं और उनसे शारीरिक संबंध बना लेते हैं।
बहरहाल, आतंकवादियों का इश्क का यह रोग सुरक्षा बलों के लिए कारगर हथियार साबित हो रहा है। इश्क की वजह से आतंकवादी पुलिस या सुरक्षा बलों से थोड़े लापरवाह हो जाते हैं। उनकी गतिविधियों को सेना और सुरक्षाबल के जवान आसानी से ट्रैक कर लेते हैं। कई बार तो यौन शोषण से तंग आकर लड़कियां ही पुलिस या सेना को जानकारी दे देती हैं। इसी तरह लड़कियों के परिजन भी खुफिया विभाग या सैन्य बलों को आतंकवादियों की सूचना दे देते हैं। लश्कर के कई कमांडर शारीरिक सुख हासिल करने के चक्कर में सुरक्षाबलों के रडार में आकर मारे जा चुके हैं। प्रेमिकाओं के अलावा आतंकवादियों यौन शोषण के बाद छोड़ दी गई प्रेमिकाएं भी बदला लेने के लिए उनकी जानकारी सुरक्षा एजेंसियों को दे दती हैं। सेना की मोस्टवॉन्टेड आतंकियों की लिस्ट में शामिल लश्कर कमांडर दुजाना कई बार सुरक्षा बलों को चकमा दे चुका था। वह एक नहीं पांच पांच बार सुरक्षा बलों के ट्रैप को नाकाम करने में कामयाब रहा था, लेकिन मंगलवार को सेना के जवानों ने उसे ऐसे घेरा कि उसके लिए भागना नामुमकिन हो गया। जानकारी के मुताबिक, वह अपनी गर्लफ्रेंड से मिलने के लिए हाकड़ीपुरा गांव आया था। प्रेमिका के परिजन की सूचना पर सुरक्षा बलों ने उसे घेर लिया। दो घंटे बाद मौके पर अतिरिक्त फोर्स पहुंची। उसकी मौजूदगी की पुष्टि होने के बाद तड़के ऑपरेशन शुरू किया गया था और उसका सफ़ाया कर दिया गया।
(लेखक 2005 से 2008 के दौरान समाचार एजेंसी यूएनआई के जम्मू कश्मीर प्रतिनिधि रह चुके हैं)
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