राज़-ए-दिल क्यूं पूछते हो
यूं ही सबके सामने
दिल की बातें क्या बताएं यूं
ही सबके सामने
तुम अनाड़ी ही रह गए
गुफ़्तगू के मामले में
दिल की बातें नहीं पूछते यूं ही सबके सामने
बिना किसी ज़ुर्म के हम तो बदनाम
हो गए
इस तरह इशारे ना करो यूं ही
सबके सामने
मन बहुत उदास है दुनियावालों
की बातों से
लगता है रो ही देंगे अब यूं
ही सबके सामने
किसी को क्या गिला मेरे किसी
से बोलने से
पर बाज आते नहीं लोग यूं ही
सबके सामने
हरिगोविंद विश्वकर्मा
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