हरिगोविंद विश्वकर्मा
“चर्च का गेट है चर्च है लापता!” संभवतः अमिताभ बच्चन पर फिल्माए गए 'डॉन' फिल्म के इस गाने को गीतकार अनजान ने बिना गहन रिसर्च के ही लिख दिया था, क्योंकि चर्चगेट के पूरब-दक्षिण में करीब एक किलोमीटर दूर सेंट थॉमस कैथड्रल चर्च अब भी मौजूद है जिसके कारण इस रेलवे स्टेशन का नाम चर्चगेट रखा गया। चर्चगेट की वर्तमान इमारत तो सन् 1957 में बनाई गई, जबकि चर्चगेट से रेल सेवा 1873 में ही शुरू हो गई थी।
पहली लोकल ट्रेन
आज जहां चर्चगेट रेलवे स्टेशन है, उसे पंद्रहवीं सदी तक लिटिल कोलाबा या वूमन आईलैंड कहा जाता था। इसके दक्षिण में कोलाबा द्वीप था तो उत्तर में बॉम-बे (जिसे बाद में बॉम्बे कहा गया) था। 16 अप्रैल 1853 को बोरीबंदर और ठाणे के बीच मुंबई में एशिया की पहली रेलगाड़ी शुरू होने पर अंग्रेजों ने पश्चिमी तट यानी अरब सागर के समानांतर रेल सेवा शुरू करने का फैसला किया। इसी परिकल्पना के तहत 2 जुलाई 1855 को द बॉम्बे, बड़ौदा एंड सेंट्रल इंडिया रेलवे (बीबी एंड सीआई रेलवे) की स्थापना की गई, जिसे आजकल पश्चिम रेलवे कहते हैं। सन्1867 में ग्रांट रोड और वर्तमान मरीन लाइंस रेलवे स्टेशन के पास बॉम्बे बैकबे रेलवे स्टेशन बनाने के बाद 12 अप्रैल, 1867 के दिन पश्चिम रेलवे की लोकल सेवा बॉम्बे बैकबे और विरार के बीच शुरू हुई।
मुंबई का इतिहास
दरअसल, यूं तो मुंबई का इतिहास पाषण काल (स्टोन एज) से शुरू होता है, जब इसे हैप्टानेसिया कहते थे। अभी हाल में मिले प्राचीन अवशेषों से संकेत मिलता है, कि यह द्वीप समूह पाषाण युग से बसा हुआ है। मानव आबादी के लिखित प्रमाण 250 ईसा पूर्व तक मिलते हैं। मौर्य साम्राज्य, सातवाहन साम्राज्य,,हिंदू सिल्हारा वंश, गुजरात सल्तनत, पुर्तगाल के बाद यह दहेज के रूप में अंग्रजों को मिला। यह भूभाग 18 वीं सदी तक सात छोटे द्वीपों में फैला था। सन् 1668 ने इसकी तकदीर बदल दी, जब अंग्रज़ों ने इसे 10 पाउंड के वार्षिक किराए पर ईस्ट इंडिया कंपनी को दिया। बहरहाल, 1869 में स्वेज नहर के खुलने के बाद से, मुंबई अरब सागर का सबसे बड़ा बंदरगाह बन गया।
चर्चगेट नाम कैसे
कोलाबा और बैकबे के बीच रिक्लेमेशन का काम पूरा होने पर बॉम्बे सरकार ने 1872 में लंबी जद्दोजहद के बाद रेलवे को ज़मीन दे दी। बैकबे और कोलाबा के बीच स्टेशन बनाने का फैसला हुआ। नए रेलवे स्टेशन का नाम चर्चगेट पड़ा। मज़ेदार बात यह है कि चर्चगेट नाम देखकर लोग हैरान होते हैं कि यहां आसपास कोई चर्च तो है नहीं फिर इसका नाम चर्चगेट कैसे पड़ा। दरअसल, जहां चर्चगेट स्टेशन बनाया गया है, उसके पूर्व में चारों ओर से दीवार से घिरा एक किला था। उस जगह को आजकल फोर्ट कहा जाता है। वर्ष 1962 तक बॉम्बे शहर फोर्ट तक ही सीमित था। किले की दीवारे से घिरे क्षेत्र में ऊंची-ऊंची इमारतें थीं। किले के तीन प्रवेश द्वारों में बोरीबंदर के पास उत्तरी छोर वाले को बाज़ार गेट, दक्षिणी छोर वाले को अपोलो गेट कहते थे। तीसरा गेट पश्चिमी छोर पर था, जहां से सेंट थॉमस कैथड्रल चर्च स्ट्रीट गुजरती थी। चर्च स्ट्रीट वाले गेट के नाम पर स्टेशन का नाम चर्चगेट पड़ा।
वैसे, बैकबे रिक्लेमेशन प्रोजेक्ट शुरू होने से पहले चर्चगेट समुद्र तट से सटा था। समुद्र की लहरें प्लेटफॉर्म नंबर एक तक आती थीं। पश्चिमी ओर करीब 500 मीटर तक समुद्र भरने के बाद मरीन ड्राइव तक इमारतें बना दी गईं। बहरहाल, 1873 में रेलसेवा बॉम्बे बैकबे से बढ़ाकर चर्चगेट होते हुए कोलाबा तक कर दिया गया। यानी चर्चगेट से पहली लोकल गाड़ी इसी साल शुरू हुई। 1976 में चर्चगेट का फिर से निर्माण किया गया और आलीशान इमारत बनाई गई। 1914 में साल भर में 2.4 करोड़ यात्रियों ने सफर किया। 1922 में इसे चार ट्रैक करने की परियोजना शुरू हुई जो बोरीवली तक बढ़ा दी गई। पांच साल बाद 5 जनवरी 1928 को चर्चगेट से बोरीवली के लिए पहली इलेक्ट्रिक लोकल रवाना हुई। लिहाजा, पुराने इमारत के पश्चिम (मौजूदा प्लेटफॉर्म) बिजली के तार वाली इमारत बनाई गई।
18 दिसंबर 1930 को बंबई सेंट्रल स्टेशन अस्तित्व में आया। उसे एक्सप्रेस टर्मिनस और चर्चगेट लोकल टर्मिनस बन गया। बहरहाल, 57 साल तक यात्रियों की सेवा करने वाले कोलाबा स्टेशन को 31 दिसंबर 1930 की रात हमेशा के लिए बंद कर दिया गया। आज़ादी मिलने के बाद 5 नवंबर, 1951 में बीबी एंड सीआई रेलवे पश्चिम रेलवे हो गया।। चर्चगेट प्लेटफॉर्म के ऊपर 108 फीट ऊंची सात मंज़िली इमारत का निर्माण किया गया और 9 जून 1957 से चालू हो गई। बहराहल यात्रियों की संख्या लगातार बढ़ती रही। आजकल चर्चगेट से रोजाना क़रीब 6 लाख यात्री ट्रेन में चढ़ते या उतरते हैं।
दस्तावेज नष्ट
वर्ष 1905 के नवंबर महीने के दूसरे हफ्ते वेल्स के राजकुमार किंग जार्ज पंचम बॉम्बे के आधिकारिक दौरे पर थे। शाही मेहमान के स्वागत में चर्चगेच की इमारत को तब सजावटी बल्ब का प्रचलन नहीं था, लिहाजा तेल वाले दीपक जलाकर दीपावली की तरह इमारत का प्रकाशमान किया गया। लेकिन उन्हीं दीपकों से इमारत में आग लग गई। आग पर फायर ब्रिगेड काबू करती उससे पहले अभिलेखागार जलकर नष्ट हो गाय। उसके साथ पश्चिम रेलवे से जुड़े फोटोग्राफ और ऐतिहासिक दस्तावेज जल कर स्वाहा हो गए।
वातानुकूलित ट्रेन
1873 से शुरू सेवा दिन प्रतिदिन बेहतर और आरामदायक होती गई और पिछले साल चर्चगेट को यादगार क्रिसमस गिफ्ट मिला। मुंबई उपनगरीय रेलसेवा में वातानुकूलित लोकल ट्रेन के रूप में एक नए युग का आरंभ हुआ। भाप इंजन वाले रैक से लेकर 25000 वोल्ट बिजली वाली 12 डिब्बे की एसी लोकल तक की उपनगरीय रेल की यात्रा में चर्चगेट का अहम किरदार रहा है। चर्चगेट के बारे में जानना बेहद रोचक और रोमांचक है।
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