हरिगोविंद विश्वकर्मा
प्रभु ईसा मसीह का
जन्मदिन और क्रिसमस-डे शहर के तमाम चर्चों (गिरिजाघरों) में बीती शाम से ही धूमधाम
से मनाया जा रहा है। इस दौरान इन स्थलों को आकर्षक झांकी व पेड़ों से भी सजाया गया। क्रिसमस के मौके पर हर चर्च को दूल्हन की तरह सजाया जाता
है। माहिम चर्च हर साल दिसंबर में अलग रूप में नजर आता है। इस चर्च में क्रिसमस बेहद
लोकप्रिय है।
माहिम चर्च का असली नाम सेंट
माइकल चर्च है। यह मुंबई ही नहीं देश के सबसे पुराने कैथोलिक चर्च में से एक है। यह पुर्तगालियों द्वारा बनाया गया पहला निर्माण है। दरअसल,
1534 में सुल्तान बहादुर शाह को
हराकर पुर्तगालियों ने मुंबई पर नियंत्रण कर लिया।
उन्होंने इसके बाद यहां दो चर्च बनवाए। इनके निर्माण चर्च निर्माता एंटोनियो डो
पोर्टो ने किए थे। पहला चर्च सेंट मिगुल मांडव तट यानी अप माहिम में बना था, दूसरा
चर्च लेडी ऑफ साल्वेशन लोअर माहिम (अब दादर) में बना और कॉन्वेंट के रूप में कार्य
करता था। अपर माहिम के चर्च को 1585 में सेंट माइकल चर्च का जाने लगा। निर्माण के
बाद कई चर्चों का पुनर्निर्माण भी किया गया।
18 वीं शताब्दी के आसपास बांद्रा इलाके में एक
लोकप्रिय चैपल था। इसको 'ऑवर लेडी ऑफ द माउंट' के नाम से जाना जाता था। इस इमारत को पुर्तगालियों ने नष्ट कर दिया। संयोग से उस
समय वर्जिन मैरी की एक नामचीन तस्वीर को बचा लिया गया था और उस उस तस्वीर को सेंट
माइकल चर्च में स्थापित कर दिया गया और तब से यह तस्वीर चर्च के प्रमुख आकर्षणों
में से एक है।
चैपल पर हमले के बाद लंबे
समय तक एपोस्टोलिक विकर्स और पड्रोडो ऑर्डर के बीच तनाव
कायम रहा और चर्च पर 60 वर्षों तक एपोस्टोलिक का कब्जा रहा। काफी संघर्ष
और हमले के बाद आखिरकार 1853 में पुर्तगाली पड्रोडो ऑर्डर ने इस चर्चर को अपने नियंत्रण में
लिया। फिलहाल एकमात्र जीवित पुर्तगाली इमारतों में से एक सेंट माइकल चर्च विभिन्न औपनिवेशिक शक्तियों के प्रभाव के प्रमाण के रूप जाना
जाता है। सन 1668 में मुगलों
और सिद्दियों ने मुंबई पर आक्रमण किया। लेकिन अंग्रेजों ने मुगलों के 14 जहाजों पर
कब्ज़ा कर लिया और उन्हें खदेड़ दिया। मुगलों ने बदला लेने के लिए 1689 में फिर सैन्य
टुकड़ी बॉम्बे भेजी। मुगलों की सेना ने मुंबई को घेर लिया और भारी तबाही की। इस
हमले में सेंट माइकल चर्च भी क्षतिग्रस्त हुआ। बाद में समझौता होने पर लड़ाई खत्म हो गई।
20 वीं शताब्दी में सेंट माइकल चर्च का नवीकरण किया
गया। चर्च का मौजूदा स्वरूप 1973 में बनाया गया। प्रारंभ में, ग्लास पेंटिंग, आकर्षक संरचनाएं, लकड़ी की बेंच, वर्जिन मैरी और जीसस क्राइस्ट की तस्वीरें इस सुंदर कैथोलिक चर्च को सुशोभित
करती थीं। लेकिन चर्च के निरंतर और बार बार नवीकरण के कारण चर्च के पुर्तगाली
वास्तुकला के सभी अवशेष अब गायब हो गए हैं। अब चर्च यहां सिर्फ एक शानदार इमारतीय
संरचना है,
जो शहर की सबसे पुरानी पुर्तगाली इमारतों में से
एक है।
चर्च के सामने फुटपाथ पर एक
छोटा सा बाजार है, जहां आप मोमबत्तियां, हार-माला, ताजे फूल और कई और उपयोगी सामान बिकते हैं। बुधवार को चर्च में आयोजित नोवेना मास में हिस्सा लेने और
अपनी मनोकामनाएं पूर्ण करने का एक शानदार अवसर मिलता है। ऐसी मान्यता है कि जो लोग 9 बुधवार को नवीना मास में भाग लेते हैं, उनकी मनोकामना पूरी होती है। दरअसल, नोवेना परंपरा 1948 में शुरू हुई। सबसे खास बात है कि कैथोलिक
चर्च में सभी धर्म के अनुयायियों को प्रवेश और इनकी सेवाओं का लाभ उठाने की अनुमति
है। अधिकतर समय, चर्च को आकर्षक रूप से सजाया जाता है और अनुयायियों
की आवाजाही होती रहती है।
ईसाई धर्म की अनुयायी और
नियमित चर्च जाने वाली जॉयस डीसूजा कहती हैं, "ईसा मसीह ने मानवता को गुलामी से मुक्त कराने के
लिए जन्म लिया था। इसीलिए उनके जन्म दिन को ईसाई समुदाय के लोग धूमधाम से मनाते
हैं। उन्होंने मानवता की रक्षा के लिए अपना जीवन समर्पित कर दिया।"
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