भारत दुश्मन को उसके घर में घुसकर मारने वाला इज़राइल व अमेरिका के बाद दुनिया का तीसरा देश बना
हरिगोविंद विश्वकर्मा
14 फरवरी 2019 को जम्मू-कश्मीर के पुलवामा में आतंकी हमले
के बाद 12 दिन बाद आज तड़के भारतीय वायु सेना ने लाइन ऑफ कंट्रोल पार करके
पाकिस्तान में जैश-ए-मोहम्मद के बालाकोट कैंपों पर 1000 किलोग्राम बम गिराया जिससे सभी शिविर तबाह हो गए। इसके अलावा जैश का अल्फा-3 कंट्रोल रूम भी नष्ट
कर दिया गया है। वायुसेना ने बताया कि हमले में तकरीबन 300 आतंकवादी भी मारे
गए हैं। भारत आगे भी कार्रवाई करेगा और अगर पाकिस्तान की ओर से किसी भी तरह क
प्रतिक्रिया या दुस्साहस किया जाता है तो भारतीय सेना पूरी दमखम के साथ सामना करने
के लिए तैयार है।
भारतीय वायुसेना का ऑपरेशन इस्लामाबाद से 190 किलोमीटर दूर बालाकोट, जहां कई आतंकी शिविर है, में किया गया। ऑपरेशन को
सर्जिकल स्ट्राइक 2 कहा जा रहा है। सर्जिकल स्ट्राइक 2 भी पहली सर्जिकल स्ट्राइक की तर्ज पर रात में की गई। वायुसेना ने इस बार तीन जगहों पर बमबारी की। पहला हमला वायुसेना के विमानों 3.45 बजे से 3.53 बजे के बीच किया। इसी तरह दूसरा और तीसरा हमला क्रमशः 3.48 से 3.55 बजे के बीच और 3.58 से 4.04 बजे के बीच हुआ। इसमें केवल 19 मिनट लगे और निशाने पर आतंकवादी संगठन के ठिकाने थे।
सीधे शब्दों में कहें तो यह घर में घुसकर मारने की कार्रवाई। 14 फरवरी के पुलवामा आतंकी हमले का बदला लेते हुए भारतीय वायुसेना के मिराज 2000 विमानों ने एलओसी के उस पार जाकर आतंकवादी टेरर लॉन्चिंग पैड पर अंधाधुंध बम गिराए। यह साहसिक कार्रवाई करने के बाद दुश्मन को घर में घुसकर मारने वाला भारत इज़राइल और अमेरिका के बाद दुनिया का तीसरा देश बन गया है। इससे पहले दुश्मन को उसके घर में घुस कर केवल अमेरिका और इज़राइल ही मारते रहे हैं। अब भारत इन दोनों देशों के समकक्ष पहुंच गया है।
इसे भी पढ़ें - ट्रिपल तलाक़ - राजीव गांधी की ग़लती को सुधारने का समय
विदेश सचिव विजय गोखले ने मीडिया को बताया कि विश्वसनीय खुफिया जानकारी मिली थी कि देश के विभिन्न हिस्सों में जैश-ए-मोहम्मद एक और आत्मघाती आतंकी हमले की कोशिश कर रहा था। फिदायीन जिहादियों को इस काम के लिए प्रशिक्षित किया जा रहा था। इसलिए भारत ने बालाकोट में जैश-ए-मोहम्मद के सबसे बड़े कैंप पर हमला किया। आज तड़के भारत ने बालाकोट में जैश-ए-मोहम्मद का सबसे बड़ा प्रशिक्षण शिविर को ध्वस्त कर दिया। इस ऑपरेशन में जैश-ए-मोहम्मद में बड़ी संख्या में आतंकवादी, प्रशिक्षक, सीनियर कमांडर, फिदायीन हमला करने वाले जिहादी मारे गए। बालाकोट में बड़ी संख्या में जैश के आतंकवादी, ट्रेनर, सीनियर कमांडर को सफाया कर दिया गया। इस कैंप का नेतृत्व मसूद अजहर का बहनोई मौलाना यूसुफ अजहर उर्फ उस्ताद गौरी कर रहा था। वह भी मारा गया। उस्ताद गौरी इंडियन एयरलांइस के विमान IC-814 को अपहृत करके कंधार ले गया। जिसके बदले भारत को मौलाना मसूद अजहर समेत 5 आतंकवादियों को छोड़ना पड़ा था।
दरअसल, जब भी सेना कोई ऐसा ऑपरेशन करती है जो स्पेशिफिक टारगेट ओरिएंटेड होता है यानी वह ऑपरेशन जिसमें सिविलियन्स को कोई नुकसान नहीं होता, केवल दुश्मन की सेना या जो टारगेट पर है उस पर स्ट्राइक करती है और उसी को नुकसान पहुंचाती है। इस तरह का हमला सेना की योजनाबद्ध तरीके से करती है। भारत पहले ही साफ कर दिया था कि पुलवामा आतंकी हमले का बदला लिया जाएगा। इसके बाद वायसेना ने रणनीति बनाई और पीएमओ से गो अहेड का सिग्नल मिलने के बाद भारतीय वायुसेना के लड़ाकू विमान एलओसी के अंदर घुस गए और जैश के आतंकवादी पैड अल्फा-3 कंट्रोल को नष्ट कर दिया।
सीधे शब्दों में कहें तो यह घर में घुसकर मारने की कार्रवाई। 14 फरवरी के पुलवामा आतंकी हमले का बदला लेते हुए भारतीय वायुसेना के मिराज 2000 विमानों ने एलओसी के उस पार जाकर आतंकवादी टेरर लॉन्चिंग पैड पर अंधाधुंध बम गिराए। यह साहसिक कार्रवाई करने के बाद दुश्मन को घर में घुसकर मारने वाला भारत इज़राइल और अमेरिका के बाद दुनिया का तीसरा देश बन गया है। इससे पहले दुश्मन को उसके घर में घुस कर केवल अमेरिका और इज़राइल ही मारते रहे हैं। अब भारत इन दोनों देशों के समकक्ष पहुंच गया है।
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विदेश सचिव विजय गोखले ने मीडिया को बताया कि विश्वसनीय खुफिया जानकारी मिली थी कि देश के विभिन्न हिस्सों में जैश-ए-मोहम्मद एक और आत्मघाती आतंकी हमले की कोशिश कर रहा था। फिदायीन जिहादियों को इस काम के लिए प्रशिक्षित किया जा रहा था। इसलिए भारत ने बालाकोट में जैश-ए-मोहम्मद के सबसे बड़े कैंप पर हमला किया। आज तड़के भारत ने बालाकोट में जैश-ए-मोहम्मद का सबसे बड़ा प्रशिक्षण शिविर को ध्वस्त कर दिया। इस ऑपरेशन में जैश-ए-मोहम्मद में बड़ी संख्या में आतंकवादी, प्रशिक्षक, सीनियर कमांडर, फिदायीन हमला करने वाले जिहादी मारे गए। बालाकोट में बड़ी संख्या में जैश के आतंकवादी, ट्रेनर, सीनियर कमांडर को सफाया कर दिया गया। इस कैंप का नेतृत्व मसूद अजहर का बहनोई मौलाना यूसुफ अजहर उर्फ उस्ताद गौरी कर रहा था। वह भी मारा गया। उस्ताद गौरी इंडियन एयरलांइस के विमान IC-814 को अपहृत करके कंधार ले गया। जिसके बदले भारत को मौलाना मसूद अजहर समेत 5 आतंकवादियों को छोड़ना पड़ा था।
दरअसल, जब भी सेना कोई ऐसा ऑपरेशन करती है जो स्पेशिफिक टारगेट ओरिएंटेड होता है यानी वह ऑपरेशन जिसमें सिविलियन्स को कोई नुकसान नहीं होता, केवल दुश्मन की सेना या जो टारगेट पर है उस पर स्ट्राइक करती है और उसी को नुकसान पहुंचाती है। इस तरह का हमला सेना की योजनाबद्ध तरीके से करती है। भारत पहले ही साफ कर दिया था कि पुलवामा आतंकी हमले का बदला लिया जाएगा। इसके बाद वायसेना ने रणनीति बनाई और पीएमओ से गो अहेड का सिग्नल मिलने के बाद भारतीय वायुसेना के लड़ाकू विमान एलओसी के अंदर घुस गए और जैश के आतंकवादी पैड अल्फा-3 कंट्रोल को नष्ट कर दिया।
दरअसल, इस तरह का हमला 'सरप्राइज' होता है, यानी टारगेट पर
अचानक हमला कर दिया जाता है ताकि सामने वाले को जवाब देने का मौका ही न मिले। असल
में यह वायुसेना का नियंत्रित हमला था। इसे वायुसेना ने खास तरह से डिजाइन किया था।
भारतीय सेना की घर में घुसकर मारने की यह तीसरी घटना है। इससे पहले सेना ने दो साल
दो सर्जकल स्ट्राइक किया था। सितंबर 2016 में स्पेशल फोर्सेज के कमांडोज़ कश्मीर
में एलओसी के अंदर जाकर आतंकी लांच पैड को नष्ट किए थे, उससे पहले जून 2015 में
म्यानमार के जंगल में घुसकर नगा आतंकवादियों को मार डाला था।
घर में घुसकर मारने के हुनर में इज़राइल अमेरिका से भी
ज़्यादा ख़तरनाक रहा है। इज़राइल डिफेंस फोर्सेस के 100 कमांडो ने 4 जुलाई 1976 को यूगांडा
में 'पॉपुलर फ्रंट फॉर द लिबरेशन फॉर फिलिस्तीन' के आतंकवादियों के
ख़िलाफ़ यूगांडा के एंटेबे हवाई अड्डे पर
सर्जिकल स्ट्राइक किया था और सभी फिलीस्तीन आतंकवादियों को मौत के घाट उतार दिया
था। दरअसल, फिलीस्तीन आतंकियों ने फ्रैंच विमान का अपहरण करके 106 इज़राइली नागरिकों को बंधक
बना लिया था। सबसे बड़ी बात यूगांडा का राष्ट्रपति आतंकवादियों का समर्थन कर रहा
था। उस कार्रवाई में इजराइली कमांडो ने यूगांडा के 37 जवानों को भी मार डाला था।
अततः अपने नागरिकों को मुक्त कराकर इज़राइल वापस लौट गए थे। इज़राइल ने उस ऑपरेशन
को 'ऑपरेशन एंटेबे' का नाम दिया
था। उस ऑपरेशन में इज़राइल के मौजूदा प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू के भाई लेफ्टिनेंट कर्नल योनातन
नेतन्याहू शहीद हो गए थे।
सर्जिकल स्ट्राइक शब्द पहली बार 2001 में तब चर्चा में आया था।
जब अमेरिका की अगुवाई में तालिबान और अल कायदा के ठिकानें पर हमला किया गया।
अमेरिकी सेना ने सर्जिकल स्ट्राइक के तहत एयरक्राफ्ट का इस्तेमाल किया था। बहरहाल,
सर्जिकल
स्ट्राइक का यह सिलसिला 2003 में शुरू हुए इराक युद्ध में भी चला। इराक युद्ध के दौरान
इराकी तानाशाह सद्दाम हुसैन को पकड़ने के लिए अमेरिकी सेनाएं सर्जिकल स्ट्राइक
करती थीं। अमेरिकी और 2004 में सद्दाम हुसैन को पकड़ने के लिए अमेरिका ने सर्जिकल
स्ट्राइक किया था। दुनिया का सबसे बड़ा सर्जिकल स्ट्राइक अमेरिका ने मई 2011 में किया था और
दुनिया के मोस्टवांटेड आतंकवादी ओसामा बिन लादेन को उसके ठिकाने पर घुस कर मार
गिराया और उसका शव समुद्र में फेंक दिया। इस कार्य को अंजाम दिया अमेरिकी की इलीट
पोर्स यूएस नेवी सील्स ने।
इसी तरह 1961 में अमेरिकी राष्ट्रपति जॉन एफ कैंनेडी ने क्यूबा के फीडल
कास्ट्रो को सत्ताच्युत करने के लिए सर्जिकल स्ट्राइक किया था और कास्ट्रो को
हटाने में सफल रहा। इस लड़ाई में स्पेशल फोर्स के कमांडोज़ ने कास्ट्रो समर्थक 100 सैनिकों को
मार डाला था। 1979 में ईरानी छात्रों ने तेहरान में 53 अमेरिकी कर्मचारियों को
अमेरिकन दूतावास में बंधक बना लिया था। जिमी कार्टर का वह सर्जिकल स्ट्राइक
–ऑपरेशन ईगल क्लॉ- असफल रहा, क्योंकि अमेरिकन स्पेशल फोर्सेस को भारी नुसान उठाना पड़ा
और किसी बंधक को छुड़ाया नहीं जा सका। 1989 में पनामा के तानाशह मैनुएल नोरिगा को
सत्ताच्युत करने के लिए अमेरिका की स्पेशल फोर्सेस ने सर्जिकल स्ट्राइक किया। इस
ऑपरेशन को अंजाम लादेन को मारने वाली यूएस नेवी सी ने दिया। हमले के बाद अततः
नोरिगा ने समर्पण कर दिया।
सन् 1993 में यूएस स्पेशल फोर्स को सोमाली सेनापति मोहम्मद फराह
ऐदीदी को पकड़ने के लिए किया गया सर्जिकल स्ट्राइक बुरी तरह असफल रहा। विरोधी
सैनिकों ने दो यूएस ब्लैक हॉक हेलिकॉप्टर को मार गिराया। 18 अमेरिकी जवान मारे गए जबकि
70 ज़ख्मी हुए। सन् 2003 में इराकी सेना ने सीरिया में यूएस सोल्जर जेसिका लिंच को
पकड़ लिया। नौ दिन बाद अमेरिकी स्पेशल फोर्स ने अस्पताल पर सर्जिकल स्ट्राइक करके
जसिका को छुड़ा लिया। सन् 2003 में ही सीआईए ने सर्जिकल स्ट्राइक पाकिस्तान में किया।
दरअसल 9/11 का की प्लानर खालिद शेख मोहम्मद समेत कई आतंकवादियों के पकड़ने के लिए यह
ऑपरेशन किया गया। सर्जिकल स्ट्राइक रावलपिंडी में हुई थी। सन् 2006 में इराक में
अल क़ायदा नेता अबु मुसाब अल-ज़रवाक़ी को पकड़ने के लिए सर्जिकल स्ट्राइक किया था।
इस हमले में अबु मुसाब अल-ज़रवाक़ी अमेरिकी सेना के हाथ मारा गया।
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