ख़ुदाहाफ़िज़
कहती तो जाओ, जाने से पहले...
एक बार मुस्कराती तो जाओ, जाने से पहले...
कहती थी अकसर रिश्ता निभाओगी हमेशा...
वो फसाना सुनाती तो जाओ, जाने से पहले...
पीठ में खंजर मारा पर जान निकली नहीं...
मेरे सीने में उतारती जाओ, जाने से पहले...
ऐसे ही तड़पता रहूंगा अगर न जान निकली...
मुझे मुक्त करती तो जाओ, जाने से पहले...
पहले ज़िंदा लाश था, अब लाश हो जाऊंगा...
मुझे दफ़न करती तो जाओ, जाने से पहले...
अपना ख़याल रखोगी, ख़ुद करोगी हिफ़ाज़त...
आखिरी वादा करती तो जाओ, जाने से पहले...
हरिगोविंद विश्वकर्मा