हरिगोविंद विश्वकर्मा
क्या भारतीय नौसेना के पूर्व अधिकारी कुलभूषण सुधीर जाधव का हश्र पाकिस्तान
भारतीय नागरिक सरबजीत सिंह जैसा कर चुका है? यानी दुश्मन ने भारत के इस सपूत की अमानवीय और
अलोकतांत्रिक ढंग से हत्या कर दी है। दरअसल, इस आशंका को इसलिए भी बढ़ावा मिल रहा है, क्योंकि कुलभूषण के बारे में
भारत की ओर से अब तक 16 बार राजनयिक के ज़रिए जानकारी मांगी गई है, लेकिन पाकिस्तान लगातार
इनकार कर रहा है और अब तक उनके बारे में कोई जानकारी नहीं दी है।
हाल ही में पाकिस्तान के अशांत सिंध प्रांत में कथित तौर पर भारतीय ख़ुफिया
एजेंसी रॉ (रिसर्च ऐंड एनालिसिस) के लिए जासूसी के जुर्म में कुलभूषण को पाकिस्तान
की सैन्य अदालत ने मौत की सजा सुनाई है। पाक सैन्य अदालत के फ़ैसले के बाद से
दोनों देशों के रिश्तों में खटास सी आ गई है। भारत कुलभूषण के ख़िलाफ़ दायर किए गए
आरोपपत्र की कॉपी मांग रहा है, लेकिन पाकिस्तान कोई भी जानकारी देने से साफ़ इनकार कर रहा है।
बहरहाल, अगर कुलभूषण की हत्या की आशंका सच है तो यह भारतीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी
के लिए अंतरराष्ट्रीय मंच पर बहुत बड़ी कूटनीतिक पराजय की तरह होगी। इसलिए
प्रधानमंत्री और विदेश मंत्री को कुलभूषण की सलामती के बारे में कठोर रुख अपनाकर
फ़ौरन सही जानकारी देने की इस्लामाबाद सरकार से मांग करनी चाहिए। यह मानने में
हर्ज नहीं कि कुलभूषण का मामला अब राजनयिक स्तर से बहुत ऊपर उठ चुका है।
भारतीय जनता पार्टी बिहार के आरा से लोकसभा सदस्य और मनमोहन सिंह के कार्यकाल
में केंद्रीय गृह सचिव रहे राजकुमार सिंह (आरके सिंह) का भी मानना है कि संभवतः
पाकिस्तानी सेना पहले ही कुलभूषण जाधव की हत्या कर चुकी है। इसीलिए अब इस्लामाबाद
कथित तौर पर देश की राष्ट्रीय सुरक्षा और गोपनीयता का हवाला देकर पूर्व नेवी ऑफिसर
के बारे में कोई भी जानकारी देने से इनकार कर रहा है।
सन् 2011 से 2013 के दौरान केंद्र में गृह सचिव रहे आरके सिंह का कहना है कि
विदेशी नागरिकों को लेकर पाकिस्तान का ट्रैक रिकॉर्ड बहुत अमानवीय और भयानक रहा
है। इसलिए भारत सरकार को इस मुद्दे को बहुत गंभीरता से लेनी चाहिए। पूर्व नौकरशाह
ने कहा कि ऐसा लगता है कि गिरफ्तारी के बाद पाकिस्तानी सेना द्वारा कुलभूषण जाधव
को बहुत ज़्यादा टॉर्चर किया गया, जिससे संभवतः उनकी मौत हो गई। कुलभूषण की मौत के बाद पाकिस्तानी सेना की अदालत
ने उन्हें फांसी देने की सज़ा सुना दी, ताकि मामले की लीपापोती की जा सके।
बहरहाल, अंतरराष्ट्रीय मानवाधिकार क़ानून के जानकारों का भी मानना है कि पाकिस्तान जिस
तरह से कुलभूषण जाधव के बारे में तथ्य छुपा रहा है और कोई भी सूचना देने से
आनाकानी कर रहा है, वह गंभीर संदेह पैदा कर रहा है कि कहीं कुलभूषण के साथ अनहोनी हो तो नहीं चुकी
है। कम से कम कोई देश किसी भी विदेशी जासूस के साथ ऐसा सलूक नहीं करता कि संबंधित
देश को उसके बारे में कोई जानकारी ही न दी जाए।
भारत में लोग कुलभूषण की पाकिस्तान में पकड़े जाने की ख़बर आने के बाद से ही
बहुत परेशान हैं। वॉट्सअप, फेसबुक और ट्विटर जैसे सोशल नेटवर्किंग पर कुलभूषण को बचाने के लिए साल भर से
मुहिम चल रही है और उन्हें किसी भी क़ीमत पर सकुशल देश में लाने की अपील
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से की जा रही है। दरअसल, लोग सरबजीत सिंह के बहाने देख चुके हैं कि जासूसी
के आरोप में पड़ोसी दुश्मन देश में पकड़े जाने का क्या हश्र होता है।
दुनिया देख चुकी है कि पाकिस्तान के लाहौर की सेंट्रल जेल में सरबजीत को पीट
पीटकर मार डाला गया था। सरबजीत के बारे में पाकिस्तान की बताई कहानी के अनुसार,
26 अप्रैल 2013 को तक़रीबन
दोपहर के 4.30 बजे सेंट्रल जेल, लाहौर में कुछ कैदियों ने ईंट, लोहे की सलाखों और रॉड से सरबजीत पर हमला कर दिया था। नाजुक हालत में सरबजीत
को लाहौर के जिन्ना अस्पताल में भर्ती करवाया गया। इलाज के दौरान वह कोमा में चले
गए और 1 मई 2013 को जिन्ना हॉस्पिटल के डॉक्टरों
ने सरबजीत को ब्रेनडेड घोषित कर दिया।
केंद्रीय गृह राज्यमंत्री हंसराज अहीर ने कहा कि भारत सरकार को अपने किसी
नागरिक के स्वास्थ्य के बारे में जानने का पूरा अधिकार है। अहीर के मुताबिक़,
इस्लामाबाद आज भले ही
कुलभूषण जाधव के बारे में कोई जानकारी नहीं दे रहा है, लेकिन एक न एक दिन उसे उनकी सलामती के बारे में
भारत को बतानी ही पड़ेगी। भारत में लोगों का मानना है कि सरकार को अपनी पूरी ताकत
झोंक देनी चाहिए ताकि कुलभूषण को सही सलामत वापस स्वदेश वापस लाया जा सके।
अमेरिका में रह रहे भारतीय-अमेरिकी समुदाय ने कुलभूषण जाधव को मौत की सजा से
बचाने के लिए व्हाइट हाउस पिटीशन लॉन्च किया है। भारतीय-अमेरिकियों ने कुलभूषण की
जान बचाने के लिए ट्रंप प्रशासन से दख़ल देने की मांग की है। व्हाइट हाउस की
वेबसाइट पर ‘वी द पीपुल पिटीशन’ में कहा गया है कि जाधव के ख़िलाफ़ लगाए गए आरोप
कि वह भारत के लिए जासूसी कर रहा था पूरी तरह से ग़लत और मनगढ़ंत हैं। ट्रंप प्रशासन
इस पर कोई प्रतिक्रिया दे इसके लिए 14 मई तक इस पर एक लाख लोगों के हस्ताक्षर होने
ज़रूरी हैं।
पाकिस्तान ने आरोप लगाया था कि कुलभूषण जाधव ईरान से इलियास हुसैन मुबारक़
पटेल के नक़ली नाम पर पाकिस्तान आया जाया करते थे। पाकिस्तान का कहना है कि 29
मार्च 2016 को उन्हें बलूचिस्तान से गिरफ़्तार किया गया। भारत सरकार का दावा है कि
कुलभूषण का ईरान से अपहरण हुआ है। पाकिस्तान का दावा है कि कुलभूषण भारतीय
ख़ुफ़िया एजेंसी रॉ के लिए काम करते हैं और बलूचिस्तान में विध्वंसक गतिविधियों
में शामिल हैं। इसी आरोप के लिए 11 अप्रैल 2017 को पाकिस्तान के मिलिट्री कोर्ट ने
कुलभूषण को मौत की सजा सुनाई, जिसका भारत सरकार व भारतीय जनता ने भारी विरोध किया।
सन् 1970 में महाराष्ट्र के सांगली में जन्मे कुलभूषण के पिता सुधीर जाधव
मुंबई पुलिस में वरिष्ठ अधिकारी रहे हैं। कुलभूषण जाधव का बचपन दक्षिण मुंबई में
गुजरा था। कुलभूषण को दोस्त भूषण कहकर बुलाते थे, जबकि उनसे छोटे उन्हें “भूषण दादा” कहते थे। फुटबॉल
का शौकीन कुलभूषण ने 1987 में नेशनल डिफेन्स अकादमी में प्रवेश लिया तथा 1991 में
भारतीय नौसेना में शामिल हुए। उसके बाद सेवा-निवृति के बाद ईरान में अपना व्यापार
शुरू किया था। उसी सिलसिले में वह ईरान
में थे, जहां से अपहृत करके उन्हें पाकिस्तान ले जाया गया था।