हरिगोविंद विश्वकर्मा
जी हां, आपको यकीन नहीं होगा मगर बात सही है। मध्य रेलवे ने शनिवार (30 अप्रैल 2011) की सुबह ये कारनामा किया। दरअसल, कुर्ला के लोकमान्य तिलक टर्मिनस पहुंचने वाले यात्रियों को बताया गया कि सुबह 0805 बजे रवाना होने वाली एलटीटी-गुवाहाटी एक्सप्रेस दो से ढाई घंटे लेट है। और दस बजे के बाद ही रवाना होगी। फिर घोषणा की गई कि ट्रेन प्लेटफ़ॉर्म पर लगने वाली है। और ट्रेन 0808 बजे प्लेटफ़ॉर्म नंबर चार पर लग भी गई। कुछ लोग रिस्क लेकर चढ़ भी गए। लेकिन अधिकांश लोग चार्ट का इंतजार करने लगे। लेकिन 0835 तक चार्ट नहीं लगा। इसके बाद एक कर्मचारी चार्ट लेकर आया और एस-1 से चार्ट लगाना शुरू किया। वह एस-11 तक पहुंचा था कि ट्रेन रेंगने लगी। उसके बाद के कोचेज़ में चार्ट ही नहीं लगा। लोगों में अफरा-तफरी मच गई, दौड़कर ट्रेन में चढने लगे। किसी समझदार ने चेन पुलिंग करके ट्रोन रोक दी। लेकिन एक मिनट रुककर ट्रेन फिर रवाना हो गई। हालांकि क़रीब सभी यात्री ट्रेन में घुस गए। लेकिन उनमें ज्यादातर यात्री अपनी सीट पर नहीं पहुंच सके। सबसे ज्यादा परेशानी महिलाओं और बच्चों को हुई। बहरहाल, मध्य रेल के जनसंपर्क अधिकारी एके जैन को सूचना दी गई। उन्होंने एलटीटी के ऑन ड्यूटी स्टेशन मास्टर श्री गोयल से बात की तो उन्होंने स्वीकार किया कि गलती हो गई और खेद भी व्यक्त किया। उन्होंने कल्यण के रेल अधिकारियों से आग्रह किया कि वहां ट्रेन को थोड़ा देर रोक कर लोगों को अपने अपने सीट पर जाने में मदद करें। जिस ट्रेन में दो दो हज़ार से ज़्यादा यात्री यात्रा कर रहे हो उसके साथ इतनी लापरवाही के बदले क्या केवल सॉरी कहना काफी है... दरअसल, रेल में भ्रष्टाचार इस कदर घर कर गया है कि हर आदमी पैसे बनाने की ही जुगत में रहता है। जो भी पब्लिक को डिल करता है वह चाहता है किसी न किसी तरह पैसे बनाए। न तो किसी का ध्यान रेल गाड़ियों के आवागमन या उनमें बुनियादी सुविधाओं पर न ही यात्रियों की खोज-खबर परेशानी पर। इन दिनों गर्मियों की छुट्टी आ गई है हर कोई गांव जाना चाहता है लेकिन इन दिनों गांव जाना एक दिवास्वप्न जैसा हो गया है।
जी हां, आपको यकीन नहीं होगा मगर बात सही है। मध्य रेलवे ने शनिवार (30 अप्रैल 2011) की सुबह ये कारनामा किया। दरअसल, कुर्ला के लोकमान्य तिलक टर्मिनस पहुंचने वाले यात्रियों को बताया गया कि सुबह 0805 बजे रवाना होने वाली एलटीटी-गुवाहाटी एक्सप्रेस दो से ढाई घंटे लेट है। और दस बजे के बाद ही रवाना होगी। फिर घोषणा की गई कि ट्रेन प्लेटफ़ॉर्म पर लगने वाली है। और ट्रेन 0808 बजे प्लेटफ़ॉर्म नंबर चार पर लग भी गई। कुछ लोग रिस्क लेकर चढ़ भी गए। लेकिन अधिकांश लोग चार्ट का इंतजार करने लगे। लेकिन 0835 तक चार्ट नहीं लगा। इसके बाद एक कर्मचारी चार्ट लेकर आया और एस-1 से चार्ट लगाना शुरू किया। वह एस-11 तक पहुंचा था कि ट्रेन रेंगने लगी। उसके बाद के कोचेज़ में चार्ट ही नहीं लगा। लोगों में अफरा-तफरी मच गई, दौड़कर ट्रेन में चढने लगे। किसी समझदार ने चेन पुलिंग करके ट्रोन रोक दी। लेकिन एक मिनट रुककर ट्रेन फिर रवाना हो गई। हालांकि क़रीब सभी यात्री ट्रेन में घुस गए। लेकिन उनमें ज्यादातर यात्री अपनी सीट पर नहीं पहुंच सके। सबसे ज्यादा परेशानी महिलाओं और बच्चों को हुई। बहरहाल, मध्य रेल के जनसंपर्क अधिकारी एके जैन को सूचना दी गई। उन्होंने एलटीटी के ऑन ड्यूटी स्टेशन मास्टर श्री गोयल से बात की तो उन्होंने स्वीकार किया कि गलती हो गई और खेद भी व्यक्त किया। उन्होंने कल्यण के रेल अधिकारियों से आग्रह किया कि वहां ट्रेन को थोड़ा देर रोक कर लोगों को अपने अपने सीट पर जाने में मदद करें। जिस ट्रेन में दो दो हज़ार से ज़्यादा यात्री यात्रा कर रहे हो उसके साथ इतनी लापरवाही के बदले क्या केवल सॉरी कहना काफी है... दरअसल, रेल में भ्रष्टाचार इस कदर घर कर गया है कि हर आदमी पैसे बनाने की ही जुगत में रहता है। जो भी पब्लिक को डिल करता है वह चाहता है किसी न किसी तरह पैसे बनाए। न तो किसी का ध्यान रेल गाड़ियों के आवागमन या उनमें बुनियादी सुविधाओं पर न ही यात्रियों की खोज-खबर परेशानी पर। इन दिनों गर्मियों की छुट्टी आ गई है हर कोई गांव जाना चाहता है लेकिन इन दिनों गांव जाना एक दिवास्वप्न जैसा हो गया है।
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