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रविवार, 19 अगस्त 2018

स्वयंभू शिवलिंग - जंगलेश्वर महादेव मंदिर

हरिगोविंद विश्वकर्मा
वैसे तो सावन में हर शिवमंदिर में शिव भक्त आते हैं, लेकिन जंगलेश्वर महादेव मंदिर में बम-बम भोले बोलने वालों की भारी भीड़ उमड़ती है। इसीलिए बारिश के इस महीने में जंगलेश्वर मंदिर गुलजार रहता है। सोमवार के दिन तो भक्तों का रेला ही नहीं थमता है। घटकोपर पश्चिम में बना मंदिर करीब दो सौ साल पुराना है। बेहद सुकून देने वाला यह मंदिर भक्तों को संपूर्ण आनंद देता है। विशाल गुंबद और अर्धचंद्राकार स्तंभों वाले इस प्राचीन शिवमंदिर में विशालाकार स्वयंभू शिवलिंग दूर से ही नजर आता है। इस मंदिर के गर्भगृह में लिंग रूप में स्वयंभू रूप में प्रकटे महादेव, देवी पार्वती, गणेश, माता गंगा और माता लक्ष्मी विराजमान हैं। 1994 में समाजसेवक बाल सुर्वे ने इसका जीर्णोद्धार करवाया। जीर्णोद्धार के बाद इसका पूरा स्वरूप ही बदल गया है।

पौराणिक कथाओं के अनुसार, सदियों पहले खैरानी रोड जंगल और पहाड़ से घिरा था। यहां की बंजर भूमि में सर्पों का बसेरा था। माना जाता है कि जब भी कहीं कोई संकट आता है, वहां सर्प दिखाई देने लगते हैं। यह भी कहा जाता है कि सांपों के कारण यहां कोई भी जीवित नहीं बच पाता था। कालांत में संयोग से यहां साधु-संत आने लगे। साधुओं ने उबड़-खाबड़ जमीन समतल करके छोटा-सा मंदिर बनाया और उसमें शिवलिंग स्थापित कर दिया। बाद में इस पूरे इलाके में सर्प दिखाई देने बंद हो गए और इलाका मानवों से आबाद होने लगा। धीरे-धीरे यह मंदिर साधुओं के बीच बहुत लोकप्रिय हो गया। कहते हैं, एक दिन एक सांप मंदिर परिसर में आया और शिव की मूर्ति के बगल में बैठ गया। साधुओं ने उसे दूध पिलाया। उस दिन से वह सांप नियमित रूप से शिवलिंग के बगल में बैठने लगा। बाद में यह मंदिर सांप का स्थाई निवास बन गया, यह सिलसिला लंबे समय तक चला। बहरहाल, जैसे जैसे समय बीतने लगा और यहां की जनसंख्या बढ़ने लगी, उसके साथ ही सांप मंदिर परिसर से गायब होते गए।

एक दूसरी पौराणिक कथा के मुताबिक दौ सौ साल पहले यह बीहड़ इलाका घने जंगल से घिरा था। एक दिन जंगल साफ़ करते समय, जंगली महाराज उर्फ जंगली बाबा नाम के साधु को महादेव का दुर्लभ शिवलिंग मिला। साधु ने उसे मंदिर में स्थापित किया। चूंकि शिवलिंग धरती से निकला था, इसलिए जंगलेश्वर मंदिर में शिवलिंग को स्वयंभू शिवलिंग माना जाता है। जंगली महाराज के नाम पर इस मंदिर का नाम जंगलेश्वर महादेव मंदिर पड़ा। 

यह मंदिर करीब दो एकड़ भूखंड में फैला है। यहां स्थानीय इलाकों के लोग ही नहीं राज्यों के दूसरे हिस्से के लोग भी भगवान शिव की प्रार्थना करने आते हैं। कहा जाता है कि जो भी पूजा करता है उसकी तपस्या पूरी हो जाती है।

बाबुलनाथ के बाद यह प्राचीनतम मंदिर है। मंदिर में सोमवार को जुटने वाले हजारों भक्तों में ज्यादातर उत्तर भारतीय और गुजराती होते हैं। महाशिवरात्रि को भी भारी भीड़ उमड़ती है। इस मंदिर में सिर्फ शांति का वास है।
संभाजी लाड, 
सदस्य, 
जंगलेश्वर महादेव मंदिर भक्त मंडल

बहुत पुराना होने के कारण यह मंदिर जीर्ण अवस्था में था। जीर्णोद्धार के बाद इसकी भव्यता बढ़ गई। भगवान शिव की महिमा अपरंपार है, उनके पास सोने का दिल है। भोलेनाथ सबकी मनोकामना पूरी करते हैं।  
-दीवाकर महाराज, 
पुजारी,
जंगलेश्लर महादेव मंदिर

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