हरिगोविंद
विश्वकर्मा
हालांकि
देश में सीसीपी वारयस (चीनी कम्युनिस्ट पार्टी वायरस) से संक्रमित लोगों की संख्या
तेज़ी से बढ़ रही है, इसके बावजूद अगर अमेरिका, इटली और स्पेन जैसे बेहतरीन हेल्थकेयर
वाले विकसित देशों की तुलना करें तो यही लगता है कि भारत कोरोना वायरस को विस्फोटक
रूप से बढ़ने से रोकने में अभी तक तो सफल रहा है। इसकी सबसे बड़ी वजह यह रही कि
देश और देशवासियों ने मिलकर कोरोना वारयस को तीसरे चरण में जाने से रोक दिया है।
इसका सारा श्रेय देशव्यापी लॉकडाउन को जाता है। इसलिए चीनी कम्युनिस्ट पार्टी
द्वारा फैलाई गई कोरोना नाम की इस वैश्विक महामारी को रोकने के लिए लॉकडाउन की अवधि
30 अप्रैल तक बढ़ाने की घोषणा तत्काल होनी चाहिए।
लॉकडाउन
इसलिए भी ज़रूरी है, क्योंकि देश में कोरोना संक्रमण और इस वायरस से होने वाली
मौतों का ग्राफ बढ़ ही रहा है। थोड़ी ढिलाई से जिस तरह लोग सब्ज़ी और अन्य खाद्य
सामग्री खरीदने के लिए टूट पड़ते हैं, उस पर अंकुश लगाने के लिए लॉकडाउन एकमात्र
विकल्प है। अन्यथा भारत भी अमेरिका, इटली, स्पेन, फ्रांस, ईरान और ब्रिटेन की तरह
कम्युनिटी ट्रांसफर का शिकार हो सकता है।
वजह
चाहे जो हो,
लेकिन इतना तो सच है कि जाहिल तबलीग़ी जमात
मरकज़ के सदर मौलाना मोहम्मद साद कांधलवी के पागलपन के
बावजूद भारत ने कोरोना वायरस के विस्फोटक संक्रमण को रोकने में अब तक तो कामयाब ही
रहा है। अगर पूरा देश इसी तरह भविष्य में भी एकजुट रहा और लोग अपने-अपने घरों में इसी
तरह बंद रहे तो,
भारत
निश्चित रूप से सीसीपी वारयस को इसी महीने हराने में सफल हो जाएगा।
भारत
में कोरोना वायरस का आगाज़ यूरोप के दो सबसे समृद्ध देशों इटली और स्पेन से एक दिन
पहले हुआ था। लेकिन इन दोनों देशों में कोरोना संक्रमण जिस गति से बढ़ा उसकी तुलना
में लॉकडाउन की घोषणा करने से देर हो गई। इसका नतीजा यह हुआ कि कोरोना वायरस कुछ
दिन के अंदर पहले चरण से दूसरे और दूसरे चरण से तीसरे चरण में चला गया और अंततः
कम्युनिटी स्प्रेड हो गया। आज इटली और स्पेन में लाशों का अंबार लगा है। लेकिन
भारत ने सोशल डिस्टेंसिंग और लॉकडाउन की घोषणा इन दोनों देशों के बाद की, इसके
बावजूद यूरोप अमेरिका की तुलना में यहां संक्रमण नियंत्रण में है।
दरअसल, चीन के बाद कोरोना वायरस का प्रकोप
पूरी दुनिया में लगभग एक ही साथ यानी 19 जनवरी 2020 से 31 जनवरी 2020 के बीच शुरू हुआ। अमेरिका
और यूरोप में यह भयानक रूप से बढ़ा और आज विकसित देशों में बड़ी संख्या में
नागरिकों की जान ले रहा है। लेकिन भारत में कोरोना संक्रमण उस विस्फोटक गति को
प्राप्त करने में सफल नहीं हो सका। भारत फिलहाल प्रभावित दोशों में 30 वें नंबर पर
है।
चीन के
बाहर सबसे पहले संक्रमण अमेरिका में फैला। दुनिया के सबसे तातकवर देश में कोरोना
का पहला मरीज 19 जनवरी 2020 को पाया गया। जहां न्यूयॉर्क
में एक चीनी नागरिक कोरोना पॉजिटिव घोषित किया गया। अमेरिका में कोरोना संक्रमण
बहुत तेज़ी से पहले चरण से दूसरे चरण में पहुंचा और दूसरे चरण से बड़ी तेज़ी से
तीसरे चरण यानी कम्युनिटी ट्रांसफर फेज में पहुंच गया। आज अमेरिका में कोरोना से मौतें
12 हज़ार से अधिक
और कोरोना संक्रमित लोगों की संख्या 4 लाख से ऊपर है।
इटली में कोरोना वायरस कोरोना के ओरिजिन पॉइंट वुहान
से उसके कोरोबारी रिश्ते के चलते 31 जनवरी 2020 को पहुंचा। दरअसल, जब इटली में सरकार ने चीन से आने वालों पर रोक
लगाने का सिलसिला शुरू किया तो वहां के वामपंथी नेताओं ने इसका विरोध किया। इसके
बाद इटली में "चीनी भाइयों को गले लगाओ" अभियान शुरू किया। सभी उम्र के
सामान्य स्वस्थ इटालियंस ने यादृच्छिक चीनी लोगों को गले लगाया और फिर स्थानीय
समुदाय के भीतर इस बीमारी को ले जाने और फैलाने लगे। लिहाज़ा, इटली ने बिजली
की गति से पहले चरण से दूसरे चरण और दूसरे चरण से तीसरे चरण में पहुंच गया। अब तक
इटली में 17,127 मौतें हो चुकी है और 1,35,586 लोग संक्रमित हैं।
विकसित
देशों की बात करें तो अमेरिका के बाद फ्रांस दूसरा देश है, जहां चीनी वायरस सबसे
पहले पहुंचा। फ्रांस में कोरोना वायरस की दस्तक 24 जनवरी 2020 को हुई। फ्रांस में कोरोना
वायरस का संक्रमण बहुत तेज़ी से पहले चरण से दूसरे चरण में पहुंचा और दूसरे चरण से
उससे भी तेज़ी से तीसरे चरण में गया और देश कोरोना के कम्युनिटी ट्रांसफर का शिकार
हो गया। आज फ्रांस में चीनी वायरस से 10,328 मौतें हो चुकी हैं, जबकि देश में कोराना पॉज़िटिव के 78,167 केस
हैं।
यूरोप
के सबसे धनी देशों में से एक स्पेन का दरवाज़ा चीनी वायरस ने 31 जनवरी 2020 को
ही खटखटा दिया था। इस देश में भी कोरोना वायरस का संक्रमण बहुत तेज़ी से फैला और पहले
चरण से दूसरे चरण में पहुंच गया। कुछ दिनों के भीतर यह वायरस दूसरे चरण से बड़ी
तेज़ी से तीसरे चरण यानी कम्युनिटी ट्रांसफर फेज में पहुंच गया। इसके चलते पूरा
इटली शहर लॉकडाउन है। इस ख़ूबसूरत देश में लाशों का अंबार लगता जा रहा है। अगर
स्पेन में लोगों के मरने का सिलसिला इसी तरह बदस्तूर जारी रहा तो जल्द ही दुनिया
में कोरोना वायरस से मरने वाले सबसे ज़्यादा लोग स्पेन में ही होंगे। अभी तक वहां 14,045 मौत हो
चुकी है और संक्रमित लोगों की संख्या 1,41,942 तक पहुंच गई है।
इसी तरह ईरान में कोरोना वायरस की
दस्ताक 19 फरवरी 2020 को हुई, लेकिन कुछ कट्टरपंथियों की लापरवाही के चलते यहां
कोरोना जल्दी ही कोहराम मचाने लगा। ईरान अमेरिका यूरोप की तरह विकसित मेडिकल
सुविधा वाला देश नहीं है। इसका नतीजा यह हुआ कि वहां गली-गली में लोगों की मौत
होने लगी। फिलहास ईरान में अबतक 3,872 लोगों की जान
जा चुकी है, जबकि 62,589 कोरोना पॉजिटिव के संक्रमण के शिकार
है।
इन
देशों की तुलना में भारत कोरोना वायरस के प्रसार की रफ़्तार में ब्रेक लगाने में
बहुत हद तक सफल रहा है। भारत में कोरोना का संक्रमण दुबई के रास्ते 30 जनवरी 2020 को
आया जब केरल में एक आदमी कोरोना संक्रमित पाया गया। इतना ही नहीं भारत में कोरोना
से पहली मौत 12 मार्च को हुई। सबसे बड़ी बात भारत में अभी तक कोरोना दूसरे चरण में
रोक दिया गया है। फ़िलहाल देश में डेढ़ सौ मौतें हुई हैं और पांच हजार से अधिक संक्रमित हैं। इन संख्याओं के साथ केवल लगाया जा
सकता है, क्योंकि भारत ने अपनी सूझबूझ से इन्हें बढ़ने की गुंजाइश नहीं दी।
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