हरिगोविंद
विश्वकर्मा
राज्यसभा टीवी की
जर्नलिस्ट अमृता राय ने सीनियर कांग्रेस नेता दिग्विजय सिंह से अपनी औपचारिक शादी
की ख़बर को अपने फेसबुक वॉल पर शेयर क्या किया, मानो भूचाल-सा आ गया है। वॉट्सअप और दूसरे सोशल नेटवर्किंग
साइट पर तरह-तरह की चर्चाएं चल रही हैं। गली-नुक्कड़, बस-ट्रेन में इसी शादी की चर्चा हो रही है। कई लोग तो
बक़ायदा लिखकर लोगों से पूछ रहे हैं, क्या दिग्गी राजा का क़दम उचित है? ज़ाहिर है, ज़्यादातर कमेंट या
विचार एकदम निगेटिव हैं और नवविवाहित जोड़े के मौलिक अधिकारों को वायलेट करते हैं।
कोई दिग्गी राजा को कोस रहा है, तो कोई लानत भेज रहा है। ऐसे कहा जा रहा है, जैसे मानो दिग्विजय सिंह ने शादी करके कोई बहुत बड़ा ग़ुनाह
कर दिया है। जन अदालत में उन्हें दोषी करार देकर जल्दी से जल्दी सज़ा सुनाने की
मांग भी की जा रही है। कई लोगों के कमेंट या विचार तो इस हद तक भावुकता से भरे हैं,
मानो, दिग्विजय सिंह की शादी से उनका बहुत बड़ा व्यक्तिगत नुक़सान हो गया है। कई
लोगों की टिप्पणी अमृता के क़रीबी रिश्तेदार जैसे हैं और जताने की कोशिश कर रहे
हैं कि अमृता ने यह क्या कर दिया। ये लोग उनके भी फ़ैसले के लिए भी दिग्विजय को ही
ज़िम्मेदार ठहरा रहे हैं।
सबसे पहली बात यह है
कि दिग्विजय सिंह और अमृता वयस्क और सिंगल थे। ब्रिटिश राज के प्रिंसली स्टेट
होल्कर के इंदौर में 28 फरवरी 1947 को जन्में दिग्विजय
सिंह की पत्नी रानी आशा का बीमारी से 2013 में निधन हो गया। उनके पांच बेटियां और एक बेटा है। उधर 44 साल की बिहार की अमृता राय का प्रेम-विवाह
नब्बे के दशक में ग़ाज़ीपुर (उत्तर प्रदेश) के राजनीतिक चिंतक आनंद प्रधान से हुआ
था। दोनों आपसी मतभेद के चलते अलग हो गए और स्वेच्छा से तलाक़ ले लिया। मतलब
दिग्विजय सिंह और अमृता क़ानूनी तौर पर अपनी मर्जी से शादी करने की पात्रता रखते
हैं। भारत में शादी के लिए जो बुनियादी एलिजीबिलिटी यानी पात्रता होनी चाहिए, वह इन दोनों में है। इसके अलावा दिग्विजय सिंह
के फ़ैसले का विरोध न तो उनके बच्चों ने किया है न ही परिवार ने। आनंद प्रधान ने
भी कहा है कि अमृता को अपने ढंग से जीवन जीने का अधिकार है।
कहने का मतलब शादी
में कहीं कोई डिस्प्यूट है ही नहीं। दो वयस्क नागरिकों ने बिना किसी पारिवारिक या
सामाजिक दबाव के अपनी मर्ज़ी से एक दूसरे से शादी की है। इससे न तो संविधान का
उल्लंघन हुआ है, न ही आईपीसी के किसी
सेक्शन का और न ही किसी समुदाय विशेष की भावनाएं आहत हुई हैं। इसके बावजूद पिछले
हफ़्ते से इसकी निगेटिव चर्चा हो रही है। चर्चा भी वे लोग कर रहे हैं, जिनका दिग्विजय सिंह या अमृता राय से दूर-दूर तक
कोई लेना-देना नहीं है। हां, दिग्गी राजा का कसूर इतना है कि वह 68 साल के हो गए हैं। लकीर के फ़कीरों द्वारा भारत में इस उम्र को वानप्रस्थ का
समय माना जाता है। माना जाता है, प्राचीनकाल में इस उम्र में आदमी केवल पूजा-पाठ करते हुए मौत का इंतज़ार करता
था। इन लकीर के फकीरों को लगता है कि दिग्विजय सिंह को भी राम-राम जपते हुए मौत का
इंतज़ार करना चाहिए था, लेकिन उन्होंने कर ली शादी। वह भी अपने से पूरे 24 साल छोटी औरत से। नैतिकता, संस्कृति और पुरुष प्रधान परिवार के परोकारों को यही बात
हजम नहीं हो पा रही है।
दरअसल, दिग्विजय सिंह और अमृता राय की शादी से आहत
लोगों की सोच, प्राचीनकाल के उन
तथाकथित परंपरावादियों की तरह है जो पुरुष-प्रधान समाज के प्रबल पैरोकार थे और
स्त्री को बस भोग की वस्तु मानते थे। इसी तरह की सोच वालों ने 1829 में अंग्रेजों द्रारा सतीप्रथा पर रोक लगाए
जाने पर उस फ़ैसले को प्रिवी काउंसिल में अपील की थी, लेकिन प्रिवी काउंसिल ने जब उनसे पूछा कि किस आधार पर आप
लोग किसी स्त्री को ज़िंदा जलाना चाहते हैं, तो उनकी बोलती बंद हो गई। ऐसे लोग ही चाहते हैं, हर आदमी उनके अनुसार चले और उनके अनुसार शादी
करे। इस सोच की तुलना अगर तालिबानी आतंकवादियों से करें तो कोई अतिशयोक्ति नहीं।
तालिबान भी तो यही करता है, अपने अनुसार लोगों को चलने के लिए मजबूर करता है।
समाज के ठेकेदारों
की हरकतों से अमृता कितनी परेशान रहीं, यह उनके फेसबुक वॉल को पढ़कर समझा जा सकता है। उन्होंने लिखा है, “मैं आत्मनिर्भर महिला हूं। पिछले कुछ दिन मेरे
लिए बहुत परेशानी भरे रहे हैं। मैं साइबर क्राइम की विक्टिम रही। अब मुझे विधिवत
एक आरोपी की तरह पेश किया जा रहा है। सोशल मीडिया पर अनाप-शनाप पोस्ट किए जा रहे
थे।“ ज़ाहिर है यह किसी सम्मानित
महिला के मन की व्यथा है जो तालिबानी सोच के लोगों की मूर्खता से दुखी है। अमृता
ने आगे लिखा है, “लोग मेरी और दिग्विजय
सिंह की उम्र को लेकर बात कर रहे थे। मैं समझदार और मैच्योर लड़की हूं, जिसे अपना अच्छा-बुरा मालूम है। मुझे अपने इस
फ़ैसले के अच्छे-बुरे परिणाम के बारे में सब पता है। मैंने ख़ुद कड़ी मेहनत करके अपने
पेशे में अपना मुकाम बनाया है। मैं दिग्विजय सिंह को प्यार करती हूं और सिर्फ़ इसी
वजह से मैंने शादी की है। मैं चाहूंगी कि वे अपनी सारी संपत्ति बेटे और बेटियों के
नाम कर दें। मुझे कुछ भी नहीं चाहिए।''
परंपरावादी लोग
ज़ाहिर है अमृता के फ़ैसले से आहत हैं कि अपने से 24 साल बड़े व्यक्ति से उन्होंने शादी क्यों की। मतलब, अब ये लोग
अमृता के लिए लड़का खोजेंगे। शादी के लिए उम्र का अंतर कोई मायने नहीं रखता है।
समान उम्र के लोगों के बीच शादी की पैरवी करने वाले लोगों के पास इस सवाल का कोई
जवाब नहीं कि अमृता और आनंद हमउम्र ही थे फिर क्यों नही चल पाई शादी। लिहाज़ा,
शादी जैसे सामाजिक बंधन को एज-गैप के नज़रिए से
देखना बहुत उचित नहीं। दिग्विजय सिंह को पिछले साल लोकसभा चुनाव से पहले अमृता के
साथ अंतरंग पलों के कई फोटोग्राफ वायरल हो गए थे। हालांकि दिग्विजय ने हिम्मत से
स्वीकार किया था कि उनका अमृता से रिलेशनशिप है और अमृता को औपचारिक तलाक़ मिलने
के बाद वह उनसे शादी कर लेंगे। उसी कमिटमेंट के तहत दिग्विजय सिंह ने पिछले महीने
चेन्नई में अमृता के साथ सात फेरे ले लिए। वैसे भी वृद्धावस्था में आदमी अकेलेपन
का शिकार होकर कई बीमारियों की चपेट में आ जाता है। इसीलिए लोगों को जीवन साथी की
ज़रूरत वृद्धावस्था में सबसे ज़्यादा होती है। लिहाज़ा, अकेलेपन से निजात पाने के लिए अगर दिग्विजय सिंह ने शादी कर
ली तो क्या बुरा किया?
वैसे 20 साल से ज़्यादा उम्र के अंतर से शादी करने वाले
दिग्विजय सिंह कोई पहले व्यक्ति नहीं हैं। पाकिस्तान के संस्थापक मोहम्मद अली
जिन्ना ने जब रुतिन पेटिट से 1918 में दूसरी शादी की तब वह 18 साल की थीं और जिन्ना 42 साल के। दोनों के बीच 24 साल का अंतर था। इसी तरह ट्रेजेडी किंग दिलीप कुमार ने 1966 में जब सायरा बानो से दूसरा निकाह किया तो युसूफ
साहब 44 साल के थे और सायरा 22
साल की। दोनों की उम्र में 22 साल का फ़ासला था। इसी तरह महान अफ्रीकन नेता
नेलसन मंडेला ने जब 1998 में तीसरी शादी की तब उनकी पत्नी ग्रेका मचेल 52 साल की थीं और मंडेला 80 साल के। दोनों में 28 साल का अंतर था। कहने का मतलब, एक ख़ूबसूरत रिश्ते की एज-गैप जैसे अप्रासंगिक मुद्दे के
आधार पर आलोचना नहीं की जानी चाहिए। मोहम्मद अली जिन्ना, दिलीप कुमार और नेलसन मंडेला की शादियां बहुत कामयाब रहीं,
इसलिए उम्मीद की जानी चाहिए कि दिग्गी राजा और
अमृता की शादी भी लंबे समय तक चलेगी और मिसाल बनेगी।
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