हरिगोविंद
विश्वकर्मा
हिंदी में एक कहावत
हैः अब
पछताए होत क्या जब चिड़िया चुग गई खेत. बैंकों से क़र्ज़ लेकर ऐय्याशी करने वाले राज्यसभा सदस्य विजय माल्या के विदेश
भागने के बाद नरेंद्र मादी सरकार के हाथ-पांव मारने की हरकत पर यह कहावत सटीक
बैठती है। दरअसल, जब माल्या देश में थे, तब उनका पॉसपोर्ट ज़ब्त करने की बजाय
उन्हें खुली आज़ादी दी गई। अब बैंकों का 9000 करोड़ रुपए डुबोकर माल्या विदेश भाग गए,
तब उनका पॉसपोर्ट रद करने और देश में लाने की बात की जा रही है।
मुद्दा यह है कि विजय
माल्या को पहले कांग्रेस और अब बीजेपी रिजिम में खूब छूट मिली। मसलन, वह दो साल पहले
डिफॉल्टर घोषित किए जा चुके हैं. इसके बावजूद उनकी ऐय्याशी वाली लाइफस्टाइल जस की तस
रही। अभी पिछले 18 दिसंबर को अपने 60वें जन्म दिन पर माल्या ने गोवा में तीन दिन
तक इतनी ऐय्याशी की कि रिज़र्व बैंक के गवर्नर रघुराम राजन को कहना पड़ा कि किसी
डिफॉल्टर व्यक्ति को जन्मदिन पर इतनी दौलत नहीं ख़र्च करनी चाहिए।
आरबीआई गवर्नर ने इशारों-इशारों
में कहा था कि देश में आम आदमी को महंगा क़र्ज़ ऐसी आलीशान बर्थडे पार्टियों के
चलते ही मिल रहा है। जब रिजर्व बैंक का गवर्नर ऐसा कहे कि बैंकों का उधार न लौटा
पाने वाले बड़े डिफॉल्टरों को पैसे की नुमाइश कर ऐसी ऐय्याशी के साथ जन्मदिन मनाने
से गलत संदेश जा रहा है तो उसी समय उस आदमी पर शिकंजा कसना ही चाहिए था।
अभी कोई दस दिन पहले डियाजियो से 515 करोड़ रुपए की डील करने और अपनी कंपनी के
चेयरमैनशिप से इस्तीफा देने के बाद भी माल्या ने कहा था कि वह लंदन में बसना चाहते
हैं, ताकि वह अपने बच्चों के और करीब रह सकें। तब पूरे देश को लगा कि माल्या बैंकों
का पैसा डुबोकर भागेंगे, लेकिन उन्हें रोकने वाली तमाम एजेंसियां हाथ पर हाथ धरे
बैठी रहीं।
बुधवार को ख़बर आई
कि माल्या आख़िरकार विदेश भाग ही गए। भारत के अटार्नी जनरल मुकुल रोहतगी ने
सुप्रीम कोर्ट को बताया कि माल्या फ़िलहाल देश मे नहीं है. वह कहां है, किसी को कुछ नहीं पता। हालांकि कहा जा रहा है कि
वह लंदन में है, क्योंकि वह पहले ही कह चुके हैं कि वह लंदन में शिफ़्ट होना चाहते
हैं।
कई लोगों का मानना
है कि केंद्र सरकार की बड़े लोगों के प्रति उदार नीति के कारण माल्या को पहले
गिरफ़्तार नहीं किया गया। लोग हैरानी जता रहे हैं कि इतने बड़े डिफॉल्टर का एहतियात
के तौर पर पासपोर्ट क्यों ज़ब्त नहीं किया गया। बहरहाल, किंगफिशर एयरलाइंस को क़र्ज़
देने वाली 17 बैकों की अगुवाई कर रहे भारतीय स्टेट बैंक ने सुप्रीम कोर्ट का
दरवाज़ा तब खटखटाया जब बहुत देर हो चुकी थी। एसबीआई ने सरकार से अपील की थी कि माल्या
को गिरफ्तार किया जाए, ताकि वह बैंकों का 9000 करोड़ रुपए डुबोकर विदेश न भाग सके। लेकिन नरेंद्र
मोदी की सरकार हाथ पर हाथ धरे बैठी रही और माल्या चुपचाप निकल लिया।
अब माल्या को क़र्ज़
देने वाली सभी 17 बैंकों से भी यह पूछा जाना चाहिए कि माल्या समेत बैड लोन वाले क़र्ज़
को देने वाले बैंक अधिकारियों के ख़िलाफ कार्रवाई क्यों नहीं हुई। गौरतलब है कि उद्योंगपतियों
से सांठगांठ करके शीर्ष बैंक अफसर करोड़ों रुपए के क़र्ज़ बांटते हैं और उससे मिले
नज़राने से ऐश करते हैं। क़र्ज़ मंजूर करने वाले ढेर सारे बैंक अधिकारी रिटायर
होने के बाद विदेश शिफ्ट हो जाते हैं और ऐश करते हैं। ऐसे अफसरों को भी जांच के
दायरे में लाने की ज़रूरत है। बैड लोन बांटने वाले बैंक अफसरों के ख़िलाफ़ कोई
कार्रवाई नहीं होती, इसलिए विजय माल्या जैसे लोग बैंकों को चूना लगाते हैं।
हम आम जीवन में
देखते हैं कि कोई आदमी महज़ 5-10 हज़ार रुपए का क़र्ज़ नहीं चुका पाए तो उसे बैंकें या तो
पकड़ ले जाती हैं या फिर उसके घर बॉउंसर भेज देती हैं. लेकिन माल्या जैसे धन्नासेठों
के साथ रियायत करती हैं। माल्या समेत उद्योगपतियों और बिल्डरों द्वारा लिया गया क़रीब
पांच लाख करोड़ रुपए का लोन लिया बैड लोन घोषित किया जा चुका है।
इससे दो जून की रोटी
जुटाने के लिए एड़ी-चोटी का पसीना बहाने वाले लोगों को लगता है कि इस देश में क़ायदे
का जीवन केवल विजय माल्या जैसे मुट्ठीभर लोग जीते हैं, बाक़ी तो पेट भरने के लिए भी स्ट्रगल करते हैं। देशवासियों
को यह भी लग रहा है कि बीजेपी हो, कांग्रेस हो, वामदल हों, आप हो, या सपा-राजद या ममता की पार्टी हो, सभी उद्योगपतियों के हित में काम करती हैं। बहरहाल, माल्या एपिसोड के बाद
उम्मीद की जानी चाहिए कि बैंकें बड़े लोगों को क़र्ज़ बांटने की अपनी नीति में
बदलाव करेंगी और प्रवर्तन निदेशालय बैंक अफसरों के आय के स्रोतों और आय की मिलान
करके कार्रवाई करेगा।
जैसी कि उम्मीद थी
विजय माल्या के विदेश भागने का मामला बृहस्पतिवार को संसद के दोनों सदनों में ज़ोरदार
तरीक़े से उठा। राज्यसभा में कांग्रेस के ग़ुलाम नबीं आज़ाद के सवाल पर वित्तमंत्री
अरुण जेटली कहा कि माल्या से एक-एक पाई वसूली जाएगी। अब कितना वसूली करेंगे, यह तो
वक्त ही बताएगा। यह यह बताना ज़रूरी है कि ललित मोदी को लंदन भागे कितने साल हो
गए, उसे स्वदेश लाकर मुक़दमा चलाना तो दूर बीजेपी के नेता वहां जाकर उससे मिलते
रहे हैं। ऐसे में विजय माल्या के ख़िलाफ़ कार्रवाई होगी इस पर भारी संदेह है।
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